19.9 C
Dehradun
Thursday, October 16, 2025

किसानों तक नहीं पहुंच सकी पीएम कुसुम योजना, रिपोर्ट में दावा- महज 30 फीसदी लक्ष्य पूरा हो सका

नई दिल्ली: देश में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पीएम कुसुम योजना बड़े पैमाने पर किसानों तक नहीं पहुंच सकी। एक रिपोर्ट के मुताबिक योजना की समय सीमा 2026 में खत्म होने वाली है और अब तक इसका लक्ष्य महज 30 फीसदी ही पूरा हो सका है। रिपोर्ट में योजना में कई बड़े सुधार करने का जिक्र किया गया है।
2019 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) योजना का लक्ष्य किसानों को सौर ऊर्जा पर आधारित खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना, खेती को टिकाऊ बनाना और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर किसानों की निर्भरता कम करना है। योजना को लेकर थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सर्वे किया। इस सर्वे में सामने आए परिणाम में पाया गया कि योजना लागू होने के पांच साल बाद भी केवल 30 फीसदी लक्ष्य हासिल कर सकी है।
रिपोर्ट में औद्योगिक प्रदूषण और नवीकरणीय ऊर्जा के कार्यक्रम निदेशक निवित कुमार यादव ने कहा कि देश में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ रहा है। ऐसे में सौर ऊर्जा में निवेश करना बेहद महत्वपूर्ण है। खासकर कृषि क्षेत्र में इसका प्रयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर सावधानी और सटीकता के साथ लागू किया जाए तो पीएम कुसुम जैसी योजनाएं भारत के जलवायु कार्रवाई प्रयासों को आगे बढ़ा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि योजना को तीन भागों में बांटा गया है। इनमें श्रेणी ए में प्रयोग न की जाने वाली जमीन पर मिनी ग्रिड लगाना, श्रेणी बी में डीजल पंपों को सौर ऊर्जा पंपों में बदला जाना और श्रेणी सी विद्युत पंपों को ऑन ग्रिड पंपों में बदलकर मिनी ग्रिड स्थापित करना। सीएसई रिपोर्ट में कहा गया कि सबसे ज्यादा काम श्रेणी बी की हुआ है। इसमें हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आगे हैं। जबकि श्रेणी ए और श्रेणी सी में कोई प्रगति नहीं नजर आई।
रिपोर्ट में कहा गया कि जिन किसानों ने अपनी खेती को सौर जल पंपों से शुरू किया उनको काफी राहत मिली। क्योंकि इससे दिन में सिंचाई की सुविधा मिली और रात में बिजली कटौत की समस्या और पानी न आने की दिक्कत से निजात मिली। रिपोर्ट में उदाहरण दिया गया कि सौर ऊर्जा के जरिये खेती करने वाले हरियाणा के अटेरना गांव के किसान काफी राहत महसूस कर रहे हैं। इससे डीजल की अपेक्षा सौर पंप अपनाने से उन्हें बचत हुई। कुछ किसानों ने तो सालाना 55 हजार रुपये तक बचाए।
रिपोर्ट में योजना के तहत किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है। इसमें पहली चुनौती सस्ती बिजली न मिलना और दूसरी चुनौती किसानों को भूमि के मुकाबले अधिक बडे़ पंप चुनने के लिए मजबूर किया जाना है। एक अन्य चुनौती राज्यों में योजना का केंद्रीयकरण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब में योजना के कार्यान्वयन की देखरेख पंजाब नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी करती है, जबकि राजस्थान में प्रत्येक श्रेणी के लिए एक अलग एजेंसी है।
कार्यक्रम निदेशक निवित कुमार यादव ने कहा कि पीएम कुसुम योजना को सही मायने में साकार करने के लिए विकेंद्रीकृत मॉडल अपनाया जाए। प्रत्येक श्रेणी की जानकार एजेंसियों को तैनात किया जाए और उसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार माना जाए। सीएसई में सुझाव दिया गया कि किसानों को सौर पंपों के लिए किश्तों में भुगतान करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ताकि उन पर अनावश्यक दबाव न पड़े। इसके अलावा केंद्र सरकार को राज्यों की वित्तीय सहायता बढ़ानी चाहिए।
वहीं नोएडा के एनटीपीसी स्कूल ऑफ बिजनेस के ऊर्जा विभाग के प्रोफेसर देबजीत पालित ने कहा कि योजना को किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने और वित्तीय रूप से व्यवहारपरक बनाने के तौर पर तैयार किया जाना चाहिए। अगर पंप का आकार पूरे देश में एक समान रखने के बजाय भूमि के आकार और पानी की जरूरत पर आधारित हो तो किसान अतिरिक्त खर्च से बचेंगे।

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img

Latest Articles

डीरिग्यूलेशन एवं ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर टास्क फोर्स ने उत्तराखण्ड में की प्रगति...

0
देहरादून। भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय की एक उच्चस्तरीय टास्क फोर्स ने देहरादून में उत्तराखण्ड राज्य में डीरिग्यूलेशन एवं ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस पहल...

केदारपुरी पहुंची अभिनेत्री सारा अली खान, बाबा केदार का लगाया ध्यान

0
रुद्रप्रयाग। बॉलीवुड अभिनेत्री सारा अली खान अपनी महिला मित्र के साथ बाबा केदारनाथ के दर्शनों के लिए पहुंची और दो दिनों तक धाम में...

मुख्यमंत्री ने 9 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एम्बुलेंस) को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

0
देहरादून। हंस फाउंडेशन देहरादून के सहयोग से प्रदत्त 08 व हिन्दुस्तान जिंक व ममता संगठन के संयुक्त सौजन्य से 1 मोबाइल स्वास्थ्य सेवा वाहन...

मुख्यमंत्री ने किया 20.89 करोड़ रुपये की लागत से खटीमा-मेलाघाट सड़क पुनर्निर्माण कार्यों का...

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को जनपद ऊधम सिंह नगर के खटीमा-मेलाघाट राज्य मार्ग (राज्य मार्ग संख्या 107) के पुनर्निर्माण कार्यों का...

केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर देहरादून में राष्ट्रीय पोषण माह के समापन समारोह में होंगी...

0
देहरादून। पोषण महज आहार से जुड़ा कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक मज़बूत, स्वस्थ और अधिक सक्षम भारत के निर्माण का एक प्रयास है।...