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Friday, November 14, 2025

एसटीएफ ने किया 87 लाख की ठगी का भण्डाफोड़, मुख्य अभियुक्त गिरफ्तार

देहरादून। एसटीएफ उत्तराखण्ड की साइबर क्राइम पुलिस टीम द्वारा प्रचलित डिजिटल अरेस्ट स्कैम करीब 87 लाख ठगी का भण्डाफोड़ करते हुये अभियोग में मुख्य अभियुक्त को बैंगलौर से गिरफ्तार किया गया है। साइबर ठगों द्वारा डिजिटल हाउस अरेस्ट कर बसंत विहार देहरादून तथा कालाढूंगी नैनीताल निवासी अलग-अलग पीड़ितों से 87 लाख की धनराशि ठगे जाने के मामले में इस गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। गिरोह द्वारा ग्रेटर मुम्बई पुलिस ऑफिसर एवं सी0बी0आई0 अधिकारी बन वीडियो कॉल/वॉइस कॉल के माध्यम से पीडित को लगभग 48 घण्टे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया था। गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा धोखाधडी में प्रयुक्त किये जा रहे बैंक खाते के विरुद्ध देश भर के विभिन्न राज्यों की कुल 24 शिकायतें दर्ज होना पायी गयी तथा उक्त खाते में ’9 करोड़ से अधिक धनराशि का संदिग्ध लेन देन पाया गया।
अज्ञात साईबर अपराधियों द्वारा स्वयं को टेलीकॉम विभाग का अधिकारी बताकर पीडित की आईडी पर मोबाईल नम्बर लिये जाने की बात कहकर ऑनलाईन धोखाधड़ी की गयी। तत्पश्चात साईबर अपराधियों द्वारा पीडित को मुम्बई साईबर क्राईम तथा सीबीआई अधिकारी बनकर तथा उनके नाम पर खोले गये केनरा बैंक के खाते में करोड़ां रूपये का लेनदेन होना बताया गया। पीड़ित को उनके विरूद्ध मनी लाण्ड्रिंग के तहत केस दर्ज होने की बात भी कही गयी। साईबर अपराधियों द्वारा पीड़ित के सभी बैंक खातों/जमीन जायजाद का वैरिफिकेशन किये जाने की बात कहकर व्हाटसप कॉल पर ही डरा धमकाकर कानूनी कार्यवाही का भय दिखा कर डिजिटल अरेस्ट करते हुए विभिन्न खातों में गढ़वाल तथा कुमांऊं के लोगों से कुल 87 लाख रूपये स्थानान्तरित करवाये गये थे। पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के दिशा निर्देशन व निलेश आनन्द भरणे (भा0पु0से0) पुलिस महानिरीक्षक साईबर/एसटीएफ उत्तराखण्ड के निकट र्पय़वेक्षण में साईबर धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करते हुये साईबर पीड़ितों को न्याय दिलाया जा रहा है।
डिजिटल हाउस अरेस्ट एक ऐसा तरीका है जिसमें जालसाज, लोगों को उनके घरों में ही फंसाकर उनसे धोखाधड़ी करते हैं। ये जालसाज फोन या वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। साइबर अपराधियों द्वारा बेखबर लोगों को अपने जाल में फंसाकर धोखा देकर उनकी गाढी कमाई का रुपया हडपने के लिये मुम्बई क्राईम ब्रान्च, सी0बी0आई0 ऑफिसर, नारकोटिक्स डिपार्टमेण्ट, साइबर क्राइम, प्ज् या म्क् ऑफिसर के नाम से कॉल कर ऐसी गलती बताते हुये जो आपने की ही न हो जैसे आपके नाम/ आधार कार्ड आदि आई0डी0 पर खोले गये बैंक खातों में हवाला आदि का पैसा जमा होने अथवा आपके नाम से भेजे गये कोरियर/पार्सल में प्रतिबंधित ड्रग्स, फर्जी दस्तावेज पासपोर्ट आदि अवैध सामग्री पाये जाना बताकर मनी लॉण्ड्रिंग, नारकोटिक्स आदि के केस में गिरफ्तार करने का भय दिखाकर व्हाट्सएप वाइस/वीडियो कॉल, स्काइप आदि के माध्यम से विवेचना में सहयोग के नाम पर अवैध रुप से डिजिटल हाउस अरेस्ट कर उनका सारा पैसा आर0बी0आई0 से जाँच/वैरिफिकेशन कराने हेतु बताये गये खातों में ट्रांसफर करवाकर धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 नवनीत सिंह (भा0पु0से0)’ द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि एक जनपद देहरादून निवासी पीड़ित द्वारा माह सितम्बर 2025 में अभियोग दर्ज कराया जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि अगस्त-सितम्बर 2025 में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा स्वयं को महाराष्ट्र साईबर क्राईम विभाग/सीबीआई से बताते हुए पीडित की आईडी पर मोबाईल नम्बर लिये जाने व उसका गलत प्रयोग के नाम पर व मनी लांड्रिंग के तहत करोड़ों रूपये के लेनदेन होने की बात कही गयी थी। जिसके लिये पीडित के सभी बैंक खातों/जमीन जायजाद का वैरिफिकेशन करने हेतु व्हाटसप वीडियो कॉल पर ही पीडित को “डिजिटली अरेस्ट” करते हुए विभिन्न खातों में कुल 59 लाख रूपये की धनराशि ऑनलाईन धोखाधडीपूर्वक जमा करायी गयी थी।
प्रकरण की गंम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन तथा सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा आई0पी0एस0 के निकट पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक/विवेचक राजेश सिंह, साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, गढ़वाल परिक्षेत्र, देहरादून के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों /व्हाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से पत्राचाकर कर डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से जानकारी मे आया कि साईबर अपराधियो द्वारा घटना में पीड़ित को डिजिटली अरेस्ट कर उनसे विभिन्न बैंक खातों में धनराशि स्थानान्तरित करवायी गयी । तत्पश्चात प्राप्त डेटा के विश्लेषण से पुलिस टीम द्वारा अभियोग में प्रकाश में आए बैंक खातों तथा मोबाइल नम्बरों का सत्यापन किया गया । दौराने विवेचना प्रकाश में आया कि उक्त राशि में से घ्41,00,000 (इकतालीस लाख रुपये) दिनांक 30 अगस्त 2025 को यस (ल्म्ै) बैंक खाता संख्या (ंबबवनदज दनउइमत) 099026900000152 में स्थानांतरित की गई, जो कि राजेश्वरी ळ।ज्ञ एंटरप्राइज के नाम से है, जिसका पता है कृ नं. 301, साइट नं. 428/7, विष्णु सन्निधि, तीसरी मंजिल, 8वीं क्रॉस, राघवेंद्र स्वामी रोड, राघवेंद्र स्वामी मंदिर, ए सेक्टर, येलहंका (उत्तर), बेंगलुरु पाया गया। उक्त खाते से जुड़े मोबाइल नंबर 9035585938 और 9591726128 (जो ओटीपी के लिए प्रयुक्त हुए) के ब्.।.थ्. आईडी विवरणों के अनुसार ये नंबर किरण कुमार के.एस., पुत्र सिद्दप्पा क्याराट्टे, निवासी फ्लैट नं. ज्14, चौथी मंजिल, डी ब्लॉक, पिरामिड सार्डिनिया अपार्टमेंट, जंकारी मेन रोड, नेहरू नगर, येलहंका ओल्ड टाउन, बेंगलुरु नॉर्थ के नाम पर पंजीकृत पाए गए।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड नवनीत सिंह ने जनता से अपील की है कि अन्जान नम्बरों से आने वाली वीडियो कॉल से बात न करें, न ही कोई सूचना/दस्तावेज दें । यदि कोई आपको पुलिस, सीबीआई, ईडी आदि का अधिकारी बताकर डिजिटल अरेस्ट करने को डराये धमकाये तो घबरायें नहीं, कोई भी एजेन्सी ऑनलाईन गिरफ्तार नहीं करती है । किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साईट/धनराशि दोगुना करने के प्रलोभनों में न आयें । साथ ही फर्जी निवेश ऑफर जैसे ल्वनज्नइम सपाम सब्सक्राइब, टेलीग्राम आधारित निवेश वेबसाइट ऑफर में निवेश न करें । गूगल से कोई भी कस्टमर केयर नम्बर को सर्च न करें । तेजी से बढ़ रहे इन्वेस्टमेंट स्कैम्स ने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है। स्कैमर्स वेबसाइट्स और नकली रिव्यू प्रोग्राम्स के माध्यम से लोगों को पहले छोटे-छोटे इनाम देकर भरोसा जीतते हैं तथा फिर धीरे-धीरे उन्हें भारी रकम निवेश करने पर मजबूर कर देते हैं। कम समय में अधिक लाभ के चक्कर में इन्वेस्ट ना करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को सम्पर्क करें । वित्तीय साईबर अपराध घटित होने पर तुरन्त 1930 नम्बर या बलइमबतपउम.हवअ.पद पर शिकायत दर्ज करें।

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