चमोली के घाट क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के लिए आंदोलन कर रहे स्थानीय प्रदर्शनकारियों पर विधानसभा घेराव के दौरान हुए बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज का मामला अब तूल पकड़ चुका है पहाड़ से सुलगी ये आंदोलन की चिंगारी पूरे प्रदेश में फैल चुकी है. एक ओर प्रदर्शनकारी पुलिस के कुछ कम अनुभव के अधिकारियों को दोष दे रहे हैं, वहीं पुलिस कहना है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया. इधर इस मामले में ख़ुफ़िया तंत्र और जिला पुलिस पूरी तरह फैल नज़र आई. बहरहाल इस मामले के तूल पकड़ते ही अब सियासी बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत में घटना पर दुख जताते हुए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं वहीं अब इससे पूरे मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री ने लिखा गैरसैंण के समीप दीवालीखाल में घाट ब्लाक के लोगों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों व पुलिस प्रशासन के बीच घटित घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसको गंभीरता से लेते हुए सम्पूर्ण घटनाक्रम की मजिस्ट्रेटी जांच कराए जाने के साफ निर्देश दे दिए हैं. दोषियों को किसी भी हाल में नहीं छोड़ा जाएगा. वहीं इस मामले पर DGP अशोक कुमार ने कहा कि “जो घटना गैरसैंण में घटी है, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. पथराव में कुछ पुलिस कर्मियों को भी चोटें आई हैं. मैं आश्वस्त करना चाहूँगा कि हम घटना की पूर्णतयः निष्पक्ष जांच कराएंगे एवं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे”
विपक्ष का प्रदेश भर में प्रदर्शन
इधर इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के निर्देश पर कांग्रेस ने सभी जिला मुख्यालयों पर इस मुद्दे को लेकर सरकार का पुतला दहन करने का ऐलान किया है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि गैरसैंण में नंदप्रयाग-घाट सड़क की माँग कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज की घोर निंदा करता हूँ. नंदप्रयाग-घाट क्षेत्र के लोग लम्बे समय से सड़क की माँग को लेकर आंदोलनरत हैं, नंदप्रयाग घाट क्षेत्र के लोगों पर सरकार ने पुलिस से बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कराकर अपनी कायरता का परिचय दिया है, जिसमें हमारी कई माताएं-बहने भी बुरी तरह घायल हुई हैं, इसकी जितनी भी निंदा की जाय वो कम है
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