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Wednesday, July 2, 2025

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगी रोक हटी

नैनीताल। राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर हाई कोर्ट की रोक हट गई है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया। जिसके बाद अब उत्घ्तराखंड सरकार को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के विरुद्ध दायर याचिकाओं की सुनवाई की। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई के बाद ने चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक हटा दी है।
साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग को पूर्व में जारी चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाते हुए चुनाव कार्यक्रम जारी करने को कहा है। सरकार को याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाये गए मुद्दों पर तीन सप्ताह के भीतर जबाव देने को कहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ब्लॉक प्रमुख सीटों का आरक्षण निर्धारित करने व जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण निर्धारित नहीं करने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए।
कोर्ट को बताया गया कि ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव एक ही तरह से होता है। एक याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में ग्राम प्रधानों के 63 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से आरक्षण रोस्टर में कई सीटों के लंबे समय से एक ही वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलने का उल्लेख करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद-243 व सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय समय पर दिए निर्णयों के विरुद्ध बताया गया।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर के अनुसार अब रोक हटने के बाद चुनाव कार्यक्रम को एडजस्ट करना राज्य निर्वाचन आयोग का काम है। सरकार याचिकाओं पर तय समय पर जवाब दाखिल करेगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान विजयी प्रत्याशियों का पक्ष भी सुना जाएगा। सुनवाई के दौरान पहुंचे पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने कोर्ट परिसर में कहा कि जल्द ही नया चुनाव शेड्यूल जारी किया जाएगा। राज्य सरकार जुलाई में पूरी पंचायत चुनाव प्रक्रिया पूरी करने को प्रतिबद्ध है।
यह है याचिकाः बागेश्वर निवासी गणेश कांडपाल सहित अन्य ने याचिका दायर कर राज्य सरकार की ओर से 9 जून व 11 जून को जारी नियमावली व परिपत्र को याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने इस नियमावली में राज्य में अब तक के आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित कर दिया था और आरक्षण का नया रोस्टर जारी कर उसे पहली बार वर्तमान चुनाव से लागू माना। याचिकाकर्ता के मुताबिक एक तरफ सरकार का यह नियम कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश के विरुद्ध है और दूसरा पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा-126 के अनुसार कोई भी नियम तभी प्रभावी माना जायेगा जब उसका सरकारी गजट में प्रकाशन होगा।

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