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Monday, July 14, 2025

इस वजह से बदरीनाथ में नहीं होती वोटिंग…

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जारों पर हैं। विधानसभा सीटों से जुड़े कई मिथक और कई तरह ही दूसरी रोचक बातें जुड़ी हैं। ऐसी ही एक सीट बदरीनाथ भी है। चमोली जिले की बदरीनाथ विधानसभा सीट राज्य गठन से पहले बदरी-केदार नाम से जानी जाती थी। लेकिन, 2012 के परिसीमन के बाद यह सीट अलग हो गई। इसकी खास बात यह है कि सीट का नाम तो भगवान बदरीनाथ के नाम से है, लेकिन अब तक कभी भी बदरीनाथ धाम में वोट नहीं डाले गए। वहां, पोलिंग बूथ नहीं बना गया।

उसके बड़ा कारण यह है कि जब भी चुनाव होता है, यहां के स्थानीय लोग प्रवास में होते हैं। यही कारण है कि उनको प्रवास में ही वोट डालने पड़ते हैं। बदरीनाथ विधानसभा सीट में जिला मुख्यालय गोपेश्वर के भी शामिल होने से इसे जिले की प्रमुख सीट माना जाता है। एक और अहम बात यह है कि गंगोत्री की तरह इस सीट को लेकर भी मिथक है कि यहां से जिस दल का भी प्रत्याशी विधानसभा पहुंचता है, प्रदेश में उसी दल की सरकार बनती है। 2003 और 2012 में कांग्रेस, 2007 और 2017 में भाजपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की और उन्हीं की सरकार भी बनी।

बदरीनाथ सीट पर भाजपा और कांग्रेस, दोनों का दबदबा रहा। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अनुसुया प्रसाद मैखुरी ने भाजपा प्रत्याशी तत्कालीन काबीना मंत्री केदार सिंह फोनिया को हराया था। 2007 में भाजपा प्रत्याशी फोनिया ने कांग्रेस प्रत्याशी मैखुरी को हराकर सीट पर फिर से कब्जा किया। 2012 में कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी और 2017 में भाजपा के महेंद्र भट्ट यहां से चुनाव जीते।

बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र में भोटिया जनजाति के मतदाता बड़ी संख्या में रहते हैं। 2016 में जोशीमठ ब्लाक को ओबीसी घोषित किए जाने के बाद इस सीट पर ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। इस सीट में नगर क्षेत्र जोशीमठ, चमोली, गोपेश्वर और पोखरी के साथ दशोली और जोशीमठ ब्लाक भी शामिल हैं।

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