छोटे किसानों के लिए खेती करना काफी कठिन होता है क्योंकि खेत की जुताई के लिए उनके पास न तो हल होता है और न ही बैलों की जोड़ी. इतने छोटे खेतों में ट्रैक्टर से जुताई कर पाना भी मुमकिन नहीं होती. खासतौर से पहाड़ी इलाकों के किसानों को इस समस्या से ज्यादा जूझना पड़ता है.
ऐसे में इस बड़ी समस्या को एक शख्स ने समझा और फिर उसने देसी जुगाड़ से बना डाला एक हल. दरअसल, उसने घर में पड़ी एक पुरानी साइकिल की मदद से न केवल एक हल बनाया बल्कि उस ही का इस्तेमाल कर खेत की जुताई भी की. ये करिश्मा हुआ है हिमाचल प्रदेश की धरती पर.
हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए खेती की देसी तकनीक बनी बड़ा सहारा
जी हां, जहां समय बदलने के साथ हिमाचल प्रदेश के किसान भी अब खेती के लिए तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं. ऊना जिले के बंगाणा क्षेत्र के किसान भी नई तकनीक का सहारा लेकर खेती के कार्यों को अंजाम दे रहे हैं.
महिला किसान भी आसानी से चला लेती हैं साइकिल के पहिए का हल
इस क्षेत्र के अनेक किसान खेती के लिए ट्रैक्टर और बैलों की जगह साइकिल के पहिए से हल बनाकर खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस तकनीक से खेती का खर्च कम होता है और फसलों की अच्छी पैदावार होती है. खास बात यह है कि इस हल की मदद से महिलाएं भी अब आसानी से खेती कर रही हैं.
इलाके के किसानों को खूब पसंद आ रही ये तकनीक
बंगाणा क्षेत्र में लखविंद्र कुमार पिछले काफी समय से साइकिल के पहिए से हल बनाने का काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को यह तकनीक काफी पसंद आई है और बाहरी जिलों में भी इसकी मांग बढ़ रही है. खेती की इस नई तकनीक से किसानों के धन की बचत भी हो रही है, जिससे वे काफी खुश हैं.