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Saturday, February 8, 2025

उत्तराखंड में 100 के पार ब्लैक फ़ंग़स के मामले, ऋषिकेश AIIMS में 70 मरीज भर्ती |Postmanindia

म्यूकोर माइकोसिस के मरीजों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी के मद्देनजर ग्रसित मरीजों के लिए एम्स, ऋषिकेश में 100 बेड तैयार किए गए हैं. इनमें आईसीयू सुविधा वाले 10 बेड शामिल हैं. म्यूकोर माइकोसिस के मरीजों के समुचित उपचार के लिए एम्स में विशेषज्ञ चिकित्सकों की 2 टीमें गठित की गई हैं. इन टीमों में ईएनटी, न्यूरो, नेत्र, डेंटल और माइक्रोबायोलॉजी के चिकित्सक शामिल हैं. इस बाबत डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रोफेसर यूबी मिश्रा जी ने बताया कि वर्तमान में एम्स में म्यूकोर माइकोसिस के 70 पेशेंट भर्ती हैं. कोविड पाॅजिटिव और कोविड नेगेटिव रोगियों को अलग-अलग वार्डों में रखा गया है. म्यूकोर माइकोसिस के मरीजों की सर्जरी के लिए अलग-अलग ऑपरेशन थिएटर आरक्षित किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि संस्थान में म्यूकर माइकोसिस रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसे देखते हुए अस्पताल में 10 आईसीयू बेडों समेत कुल 100 बेडों की व्यवस्था की गई है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए इनमें अधिकांश बेड कोविड पॉजिटिव मरीजों के लिए आरक्षित हैं. उन्होंने यह भी बताया कि एम्स में भर्ती म्यूकोर माइकोसिस मरीजों की संख्या के लिहाज से दवा की पर्याप्त आवश्यकता के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है.

म्यूकोर माइकोसिस ट्रीटमेंट टीम के हेड और ईएनटी विभाग के सर्जन डाॅ. अमित त्यागी ने बताया कि शुगर के मरीजों को इस बीमारी से विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि बिना चिकित्सकीय सलाह के स्टेराॅयड का सेवन शुगर वाले कोविड मरीजों के लिए बेहद नुकसानदायक है. 

क्या है म्यूकोर माइकोसिस

म्यूकोर माइकोसिस एक दुर्लभ तरह का फंगस है. यह नाक के द्वारा या चोट से आए घाव और खरोंच के जरिए शरीर में ज्यादा तेजी से फैलता है. उन मरीजों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है, जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है. एम्स में म्यूकोर माइकोसिस ट्रीटमेंट टीम के हेड व ईएनटी सर्जन डाॅ. अमित त्यागी का कहना है कि कोरोना संक्रमित वह पेशेंट जिनका शुगर लेवल नियंत्रण में नहीं है, उन्हें इस बीमारी से ज्यादा खतरा है. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर इस फंगस को तेजी से पनपने का मौका मिलता है और रोगी जल्दी ही गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है.

कितनी खतरनाक है यह बीमारी

म्यूकोर माइकोसिस से दिमाग,आंख और नाक पर बुरा असर देखने को मिलता है. इस फंगस की सबसे खतरनाक बात यह है कि समय रहते इलाज नहीं होने पर इससे ग्रसित व्यक्ति अपनी आंखों की रोशनी भी गंवा सकता है. शरीर में संक्रमण की स्थिति होने पर रोगी के नाक और जबड़े की हड्डियां तक गल जाने का खतरा रहता है. विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी का उपचार समय पर नहीं होने से मरीज की मौत भी हो सकती है.

म्यूकोर माईकोसिस के प्रमुख लक्षण

बुखार, सिरदर्द, नाक बंद होना, नाक से गंदा पानी बहना, आंख में सूजन होना, आंखों में दर्द होना, आंख का मूवमेंट कम होना, आंख से कम दिखाई देना और रोगी की देखने की क्षमता का क्षीण होना इसके प्रमुख लक्षण हैं. यह बीमारी उन लोगों में अधिक देखी जा रही है जिन्हें डायबिटीज की समस्या है.

क्या है डॉक्टर की सलाह

चिकित्सकों की सलाह है कि स्टेराॅयड के सेवन से इलाज करने वाले कोविड संक्रमित रोगी अपने शुगर की नियमित जांच करवाएं और शुगर लेवल पर नियंत्रण रखें. लक्षण नजर आने पर बिना देरी किए चि​कित्सक से परामर्श लें. बिना चिकित्सीय सलाह के स्टेराॅयड का सेवन कदापि नहीं करें. डाॅ. त्यागी ने बताया कि कोविड पेशेंट को अधिकतम 10 दिनों से ज्यादा स्टेराॅयड का सेवन नहीं करना चाहिए. दवा की ज्यादा डोज बेहद नुकसान दायक है. इसके अलावा कोविड संक्रमित होने पर रोगी को पहलेे 6 हफ्तों के दौरान अपने शुगर लेवल पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है. उन्होंने बताया कि एम्स में भर्ती म्यूकोर माइकोसिस के अधिकांश रोगी शुगर की बीमारी से ग्रसित हैं.

म्यूकोर माइकोसिस का उपचार

यह संक्रमण नाक व साईनस से शुरू होता हुआ शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगता है. इसके उपचार में शरीर में बेजान और संक्रमित ऊतकों को निकाला जाता है, इसलिए कुछ मरीज अपनी ऊपरी दाड़ और आंखें खो बैठते हैं. इसके उपचार में 3 से 6 सप्ताह तक नसों का एंटी-फंगल उपचार भी शामिल है. घातक होने के कारण यह संक्रमण पूरे शरीर पर बुरा असर छोड़ता है. इसलिए इसके उपचार में सूक्ष्म जीवविज्ञानी, गहन न्यूरोलॉजिस्ट, कान-नाक-गला विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन और अन्य विशेषज्ञ की सलाह ली जानी चाहिए.

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में 1 जून तक बढ़ा कोविड कर्फ़्यू, अब 8 से 11 खुलेंगी दुकानें

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