भाजपा की पूर्ववर्ती भारतीय-जनसंघ के स्थापना-पुरुष पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र एवम् न्यायिक क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘ न्याय-मित्र ‘ से पुरस्कृत प्रख्यात न्यायविद् चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय ने भाजपा के नेताओं को कड़ी चेतावनी दी है,एक बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा है कि कि 24 घण्टे के भीतर भाजपा अपने अध्ययनहीन नेताओं पर लगाम लगाये, हरीश रावत पर लगातार कर रहे निजी-हमले करने से उन्हें रोके वरना वह देहरादून में एक प्रेस-कान्फ्रेंस कर भाजपा के मुख्यमंत्रियों के भ्रष्टाचारों के अभिलेखीय-साक्ष्य सार्वजनिक कर देंगे । उन्होंने कहा कि सिर्फ मुख्यमंत्रियों ही नहीं बल्कि भाजपा के कई राष्ट्रीय नेताओं तथा उत्तराखण्ड के लगभग भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार को उन्होंने प्रत्यक्ष देखा है और उनके समस्त प्रमाण उनके पास है।
उन्होंने कहा कि उन अभिलेखीय-साक्ष्यों की सत्यता के लिए वह सभी भाजपाईयों का लाई-डिटेक्टर व नारको-टेस्ट कराने की मांग की सक्षम प्राधिकरण से करेंगे । बताते चलें सम्प्रति हरीश रावत के मुख्य प्रमुख सलाहकार उपाध्याय, राज्य के एडीशनल एडवोकेट जनरल रह चुके हैं, उत्तर-प्रदेश में सेशन-कोर्ट में न्यायाधीश रहे चन्द्रशेखर को कांग्रेसी मुख्यमंत्री पण्डित नारायण दत्त तिवारी ने 2004 में उन्हें उपरोक्त पद पर नियुक्त किया था, बाद में उपाध्याय खण्डूड़ी एवम् निशंक के ओएसडी (न्यायिक, विधायी एवम् संसदीय-काय॔) रहे । भ्रष्टाचार के मामलों में अदालतों में घिरे निशंक से उन्होंने ही सभी मामलों में ROll-BACK कराकर तब भाजपा के बड़े भ्रष्टाचार से राज्य को बचाया था । उन्होंने ही अपनी न्यायिक-सूझबूझ से उस समय की भाजपा सरकार को बचाया था ।
उत्तराखण्ड विधि-आयोग में प्रमुख-सचिव विधायी के समकक्ष सदस्य पद काय॔ कर चुके श्री उपाध्याय को श्री रावत ने अपना मुख्य प्रमुख सलाहकार नियुक्त करते हुए उन्हें रामपुर तिराहा मामले में बलिदानियों एवम् आन्दोलनकारियों को पूण॔ न्याय दिलाने का कार्य सौंपा है, उल्लेखनीय है कि उपाध्याय ने 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से रामपुर तिराहा मामले की पुन॔निरीक्षण-याचिका स्वीकार कराकर राज्य-आन्दोलनकारियों को एक बड़ी राहत दिलवायी थी जबकि मुजफ्फरनगर की निचली अदालत ने मामले को खारिज कर दिया था । उपाध्याय ने अपने बयान में भाजपा को अपने 2017 के घोषणापत्र पर सार्वजनिक-बहस की भी चुनौती दी है, उन्होंने कहा है कि अपने पुराने-मित्र जे. पी. नडडा के आग्रह पर उन्होंने उस घोषणा-पत्र पर काफी काय॔ किया जिसे भाजपा के तीनों मुख्यमंत्रियों ने विस्मृत कर दिया उन्होंने कहा कि भाजपा के मामूली नेता अपना अध्ययन बढ़ायें एवम् कांग्रेस के घोषणापत्र का भी अध्ययन करें ।