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Thursday, March 13, 2025
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कोर्ट कमिश्नर ने दाखिल की संभल जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट, सील बंद लिफाफे की पेश

संभल: संभल के जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद में एडवोकेट कमिश्नर ने 40 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट चंदौसी जिला कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील बंद लिफाफे में जमा की। अगली कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के निर्देशों पर निर्भर करेगी।
संभल की जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने के मामले में कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने दो जनवरी 2025 दिन बृहस्पतिवार को न्यायालय में बंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि तबियत खराब होने की वजह से सर्वे रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करने में देरी हुई। बता दें कि 19 नवंबर को न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी की अदालत में शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी और हरिशंकर जैन समेत आठ वादकारियों ने वाद दायर किया था। न्यायालय ने उसी दिन अधिवक्ता रमेश सिंह राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था और सर्वे करने के आदेश दिए थे। कोर्ट कमिश्नर ने उसी दिन कड़ी सुरक्षा व जिले के आला अधिकारियों की मौजूदगी में सर्वे किया। 24 नवंबर को वह डीएम व एसपी की सुरक्षा में दोबारा सर्वे करने पहुंचे तो बवाल हो गया था। जिसमें पांच लोगों की जान चली गई। कई पुलिस कर्मी भी घायल हो गए थे।
इसके बाद 29 नवंबर को कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश की जानी थी। जिसमें न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर को सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए दस दिन का समय दे दिया था। इसके बाद नौ दिसंबर को सील बंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट दाखिल की जानी थी। कोर्ट कमिश्नर ने तबियत खराब होने का हवाला देते हुए सर्वे रिपोर्ट तैयार न होने की बात कहते हुए समय की मांग की थी। वहीं जामा मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता शकील अहमद वारसी ने समय मांगने को लेकर आपत्ति दाखिल कर दी थी। बृहस्पतिवार को करीब साढ़े चार बजे कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव सर्वे रिपोर्ट लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी आदित्य कुमार सिंह के न्यायालय कक्ष में पहुंचे। जहां उन्होंने पीले रंग के बंद लिफाफे में सर्वे की रिपोर्ट दाखिल की। न्यायालय ने तत्काल संज्ञान लेते हुए लिफाफे को मोहर से सील बंद करा दिया।
कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने बृहस्पतिवार को न्यायालय में बंद लिफाफे में सर्वे की रिपोर्ट के साथ एक प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें उन्होंने सर्वे की तारीखों का हवाला दिया और समय पर रिपोर्ट न दाखिल करने का कारण तबियत खराब होना बताया। साथ ही रिपोर्ट को पत्रावली पर लिए जाने की अनुमति मांगी। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि उन्होंने अपने सर्वे के दौरान शाही जामा मस्जिद में पाये गए साक्ष्यों के संबंध में 43 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की है। साथ ही पाये गए तथ्यों के समर्थन में लगभग 60 फोटो भी सर्वे रिपोर्ट के साथ न्यायालय में पेश किए गए हैं। शाही जामा मस्जिद की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे अधिवक्ता शकील अहमद वारसी ने बताया कि कोर्ट कमिश्नर द्वारा न्यायालय में सर्वे रिपोर्ट दाखिल होने की सूचना हमें साढ़े चार बजे मिली। चूंकि रिपोर्ट बंद लिफाफे में है। वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ही खुलेगी।

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