मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आता हुआ दिख रहा है। जहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच चल रहे शीत युद्ध के दावों में नया मोड़ आता हुआ दिख रहा है। मीडिया रिपोर्टस की माने तो सीएम फडणवीस के गृह विभाग ने 20 से अधिक शिवसेना विधायकों की सुरक्षा में बदलाव किया। उनकी सुरक्षा को वाई+ श्रेणी से घटाकर सिर्फ एक कांस्टेबल पर कर दिया गया। इसके साथ ही कुछ अन्य शिवसेना नेताओं की सुरक्षा भी वापस ले ली गई।
हालांकि, गृह विभाग द्वारा भाजपा और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के कुछ नेताओं की सुरक्षा भी वापस लेने का दावा किया जा रहा है। हालांकि सरकार के इस कदम पर ना तो शासन ने कोई प्रतिक्रिया दी है और ना ही विधायकों ने कोई बयान जारी किया है। महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटना महायुति सरकार में भागीदारों के बीच एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ का हिस्सा है। शिंदे ने शिवसेना के उदय सामंत द्वारा आयोजित उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक में हिस्सा लिया, जबकि फडणवीस ने जनवरी में ऐसी ही एक बैठक की थी। शिंदे की यह समीक्षा बैठक सामंत द्वारा भेजे गए एक पत्र के कुछ दिन बाद हुई। इससे ये तो साफ हो रहा है कि राजनीति में कुछ तो हलचल है।
बात अगर सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव की करें तो अक्तूबर 2022 में शिंदे के सीएम बनने के बाद, जिन 44 विधायकों और 11 लोकसभा सदस्यों ने शिंदे का समर्थन किया था, उन्हें वाई+ सुरक्षा कवर दिया गया था। लेकिन अब मंत्रियों को छोड़कर बाकी सभी विधायकों की सुरक्षा घटा दी गई है। कई पूर्व सांसदों से भी सुरक्षा वापस ले ली गई है। इनमें भाजपा और राकांपा के कुछ नेता, शिवसेना से जुड़े लोग, और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। अंबानी परिवार के सदस्यों और कुछ अन्य प्रमुख व्यक्तियों को, जैसे कि अभिनेता अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और सलमान खान को, भुगतान के आधार पर वर्गीकृत सुरक्षा दी गई है। इससे साफ है कि भाजपा और शिवसेना के बीच चल रहे विवाद के कारण राज्य की राजनीति में कई अहम बदलाव हो रहे हैं, जिनमें सुरक्षा कवर से लेकर मंत्रालयों के नियंत्रण तक कई पहलू शामिल हैं।
रायगढ़ और नासिक में विवाद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच शुरू हुआ गतिरोध अब बढ़ता जा रहा है। यह विवाद पहले रायगढ़ और नासिक के लिए संरक्षक मंत्री पदों को लेकर था, जो अभी भी अनसुलझा है। सीएम फडणवीस एनसीपरी नेता अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नियुक्त किया था। इस विवाद से शिंदे की नाराजगी साफ सामने आ रही थी, क्योंकि वो चाहते थे कि उनके पार्टी से कोई इस पद को संभाले।
इसके साथ ही एक पहलू ये भी है कि पिछले महीने, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने नासिक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की बैठक छोड़ दी थी, जो फडणवीस द्वारा बुलाई गई थी, और बाद में उन्होंने खुद इस विषय पर अपनी समीक्षा बैठक की। हाल ही में, शिंदे ने मंत्रालय में एक नया डिप्टी सीएम का मेडिकल एड सेल स्थापित किया और अपने करीबी सहयोगी को इसका प्रमुख नियुक्त किया। यह पहली बार है जब किसी डिप्टी सीएम ने सीएम रिलीफ फंड सेल के बावजूद ऐसा सेल स्थापित किया है। इस बात से फडणवीस के समर्थकों में भी बातें तेज है। फडणवीस को एक महत्वपूर्ण पद पर नामित किया गया था, लेकिन शिंदे को महाराष्ट्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से बाहर रखा गया था। इसके बाद नियमों में बदलाव किया गया, ताकि शिंदे को इसमें शामिल किया जा सके। इसी तरह, एमएसआरटीसी का अध्यक्ष एक नौकरशाह को नियुक्त किया गया, जबकि हाल के दिनों में परिवहन मंत्री इस पद पर थे। मामले में अधिकारियों का कहना है कि सीएम और डिप्टी सीएम की समान विभागों पर समीक्षा बैठकों के कारण दोहराव हो रहा है। एक पूर्व अधिकारी ने बताया ने तकनीकी रूप से, डिप्टी सीएम के पास कैबिनेट मंत्री के अलावा कोई विशेष अधिकार नहीं हैं। शिंदे की समीक्षा बैठकें दिखावे के लिए हो सकती हैं, क्योंकि आखिरी निर्णय तो सीएम के पास ही होते हैं।
शिवसेना के 20 विधायकों की सुरक्षा घटाने पर महायुति में तकरार
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