देहरादून: उत्तराखण्ड की प्रगति के लिए धामी सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास रंग लाने लगे हैं। तमाम स्तरों पर बड़े पैमाने पर किए जा रहे प्रयासों की वजह से रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। खासतौर पर औद्योगिक निवेश,प्राथमिक क्षेत्र को आगे बढ़ाने के प्रयास,सर्विस सेक्टर आदि में खूब काम मिल रहा है। उद्योग सहित रोज़गार सृजन के समस्त क्षेत्रों में किए गए प्रयास अब परिणाम देने लगे करने के इच्छुक लोगों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के आकड़े उत्तराखण्ड बताते हैं कि पिछले एक वर्ष में उत्तराखण्ड में बेरोजगारी दर घटी है और लोगों के लिए रोजगार के मौके बढे हैं। खासतौर पर महिलाओं की भागेदारी के ग्राफ में उत्साहजनक उछाल देखा गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने श्रमिकों की स्थिति को समझने के लिए निश्चित समयांतराल में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफस) करवाता है। हाल ही में इसके राज्यवार आंकड़े जारी किए गए हैं। उत्तराखण्ड में श्लोगों को रोजगार मिलने के मामले में बेहतरीन सुधार देखने को मिला है। 2021–22 में उत्तराखण्ड में बेरोजगारी दर 8.4% थी जो 2022–23 में घटकर 4.9% रह गई है। पिछले एक वर्ष में बेरोजगारी दर में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
दरअसल, उत्तराखण्ड में बुनियादी सुविधाओं सहित उद्योग, प्राथमिक क्षेत्र,सर्विस सेक्टर सहित रोज़गार सृजन के लिए किए जा रहे प्रयासों को प्राथमिकता के साथ किया जा रहे हैं।इसी का नतीजा है कि रोज़गार के अवसर बढ़े हैं।वर्ष 2021–22 में उत्तराखण्ड में श्रम बल की भागेदारी 55.9% थी। 2022–23 में 4.2% इजाफे के साथ यह 60.1% तक पहुंच गई है। आंकड़ों से साफ है कि काम मिलने से रोज़गार सृजन का ग्राफ तेज़ी से बढ़ा है।
महिलाओं के लिहाज से भी यह आंकड़ा सुखद है। वर्ष 2021–22 में उत्तराखण्ड में महिला श्रम बल की भागेदारी 34.6% थी। एक वर्ष में ही 2022–23 में यह बढ़कर 41.1% पर पहुंच गई है। इसमें भी 6.5% की वृद्धि हुई है। खासबात यह है कि शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पढ़े हैं। आंकड़ों से मिले संकेत इशारे कर रहे हैं कि आने वाले सालों में भी रोजगार मिलने की दर में और ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा।