उत्तरकाशी से हर्षिल की एक सुंदर जिसका नाम हर्षिल है. पूरे देश में हर्षिल अपने विशेष उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है. पर आपको पता है कि इस हर्षिल को विकसित करने वाला कौन था.. अगर नहीं तो आप हर्षिल जरुर आइये और अब रात्रि विश्राम विल्सन हाउस Willson House में कीजये. विल्सन हाउस फॉरेस्ट का गेस्ट हाउस है जोकि एक ब्रिटिश आर्मी से विद्रोह कर भगौडे सैनिक के नाम से रखा गया है.
पहाड़ी विल्सन के नाम भी प्रसिद्द थे willson
हर्षिल की पूरी कहानी फ़ेड्रिक ई विल्सन fadrik e willson नाम के आसपास ही घूमती है . दरअसल ब्रिटिश सेना का सैनिक विल्सन ने विकास पुरुष की भांति हर्षिल घाटी को विकसित किया है इसीलिए फॉरेस्ट का गेस्ट हाउस भी इस विकास पुरुष के नाम से रखा गया है, कहा जाता है कि पहाड़ी विल्सन PAHDI WILLSON का घर ही विल्सन हाउस के रूप में जाना जाता था, बाद में उसे वन विभाग ने नए सिरे से तोड़कर बनाया. अब ज़रा एक नजर हूं कौन है पहाड़ी विल्सन? देश में स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था सन 1857 में ब्रिटिश सेना BRITISH ARMY के साथ हुए सैनिक विद्रोह में विल्सन सेना छोड़ दिल्ली से भाग कर उत्तराखंड पहुंच गए.
कहा जाता है कि टिहरी राजा से उन्होंने शरण मांगी लेकिन उन्हें बहुत कुछ ज्यादा मदद टिहरी रियासत से नहीं मिली इसके बाद विल्सन घूमते-घूमते उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में पहुंच गए , यहाँ की जगह उन्हें भा गयी. हर्षिल में रहते रहते हुए उन्होंने ने गुलाबो देवी से शादी कर ली.विल्सन हर्षिल में ही बस गये..रोज शिकार करते.. इसके साथ ही विल्सन ने बाद में देवदार की लकड़ी का व्यापार भी शुरू कर दिया था विल्सन ने उसके बाद हर्षिल में तरह-तरह की खेती राजमा_सेब और कई उत्पादों को विकसित किया जो कि आज भी हर्षिल की पहचान के रूप में जाने जाते हैं.
विल्सन के नाम से उत्तराखंड में सेब की एक प्रजाति भी विकसित हो गई है जिन्हें विल्सन एप्पल willson apple कहा जाता है. ऐसे इंसान के व्यक्तित्व के बारे में जानते हुए बड़ा गर्व महसूस हुआ इस बात को लेकर एक तसल्ली हुई थी राजा विल्सन ने सिर्फ हर्षिल को अलग पहचान नहीं दिलाई बल्कि देश दुनिया में नक्शे पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया. विल्सन हाउस में रहना सच में गर्व की अनुभूति से कम नहीं था.
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