नई दिल्ली। भारत और चीन ने बीते पांच महीनों में आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं। इन संबंधों को मजबूत करने के लिए आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित के तीन सूत्रीय फॉर्मूले पर जोर दिया गया है। यह बात मंगलवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कही। वह चीन के दूतावास की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जो भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुआ। भारत और चीन ने बीते पांच महीनों में आपसी संबंधों को सुधारने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं। इन संबंधों को मजबूत करने के लिए आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित के तीन सूत्रीय फॉर्मूले पर जोर दिया गया है। यह बात मंगलवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कही। वह चीन के दूतावास की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जो भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुआ।
यह पहला मौका था जब जून 2020 में गलवां घाटी संघर्ष के बाद किसी शीर्ष भारतीय अधिकारी ने चीनी दूतावास के कार्यक्रम में भाग लिया। विदेश सचिव ने कहा कि बीते पांच महीनों में दोनों देशों ने संबंध सुधारने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, आगे का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन हम इसे अपनाने के लिए तैयार हैं। यह हमारे लोगों के लिए वास्तविक लाभ दिला सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी मंगलवार को एक-दूसरे को संदेश भेजे। मोदी ने कहा कि भारत-चीन संबंधों में सुधार से दुनिया में स्थिरता और बहुध्रवीयता को बल मिलेगा। इस पर शी जिनपिंग ने भी सहमति जताई।
गलवां संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में भारी तनाव आ गया था। लेकिन कई दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने सीमा पर सैनिकों को हटाने का फैसला किया। पिछले साल अक्तूबर में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट समझौता हुआ। इसके कुछ दिन बाद कजाखस्तान के कजान में मोदी और जिनपिंग की मुलाकात हुई, जहां रिश्ते सुधारने पर चर्चा हुई।
मिस्री ने कहा कि हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच कई बैठकें हुई हैं और व्यापारिक सहयोग फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। इसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना, सीमा पार नदियों पर सहयोग और सीधी हवाई सेवाओं की बहाली शामिल है। चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने भी कहा कि भारत-चीन को अपने मतभेद बातचीत के जरिए हल करने चाहिए और सीमा के मुद्दों को संबंधों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
विदेश सचिव बोले-बीते पांच महीनों में भारत-चीन संबंधों की नई शुरुआत, तीन सूत्रीय फॉर्मूले से भविष्य तय
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