देहरादून। चित्रांशी रावत यानी चक दे इंडिया फिल्म की कोमल चौटाला। कई वर्षों बाद भी चित्रांशी रावत की सबसे मजबूत पहचान ये ही किरदार है। हॉकी खिलाड़ी होने की वजह से ही चित्रांशी को यह किरदार मिला और इसी वजह से वह इस किरदार को जीवंत कर पाईं। उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों के माहौल के बीच चित्रांशी का खिलाड़ी मन दूर मुंबई में भी मचल रहा है। चित्रांशी का यही कहना है-काश मेरे स्कूल-कॉलेज के दिनों में उत्तराखंड में नेशनल गेम होते। काश! मैं उत्तराखंड में नेशनल गेम खेल पाती।
चित्रांशी रावत 12 वीं क्लास तक हॉकी खेलती रहीं। वह हॉकी की शानदार खिलाड़ी रहीं हैं। इस दौरान जूनियर नेशनल, सीनियर नेशनल समेत कई राष्ट्रीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिता में उन्होंने शिरकत की। सब जानते हैं कि हॉकी पर केंद्रित ब्लॉकबस्टर फिल्म चक दे इंडिया में कोमल चौटाला के किरदार के लिए ऐसी लड़की की तलाश थी, जो हॉकी खिलाड़ी हो। चित्रांशी ने इस भूमिका को किस कदर शानदार ढंग से निभाया, ये भी हम सब जानते हैं।
चित्रांशी फिल्मों में व्यस्त हैं, लेकिन उत्तराखंड में 38 वें राष्ट्रीय खेलों से जुड़ी हर जानकारी से अपडेट है। फोन पर बातचीत में चित्रांशी ने कहा-एक खिलाड़ी होने के नाते मैं यह जानकर रोमांचित हूं कि मेरे गृह राज्य उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल हो रहे हैं। मैं जानती हूं कि इस आयोजन की कितनी अहमियत है। उत्तराखंड सरकार को बधाई। चित्रांशी कहती है-स्कूल कॉलेजों के जमाने में मै नेशनल लेवल पर खेलने के लिए कभी दिल्ली, कभी जबलपुर, कभी कपूरथला जाया करती थी। काश उस वक्त उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल होते, तो मैं अपनी धरती पर हॉकी खेलती।
फिल्म अभिनेत्री व पूर्व हॉकी खिलाड़ी चित्रांशी का कहना है-हमारे खिलाड़ी पहले ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। अब और निखरकर सामने आएंगे। राष्ट्रीय खेलों से उन्हें मिलने वाली सुविधाओं का विस्तार होगा। उन्होंने कहा-पहाड़ के खिलाड़ियोें के लिए राष्ट्रीय खेलों का यह प्लेटफार्म बहुत बड़ा है। आने वाले दिनों में इसके सुखद परिणाम सामने आएंगे।
उत्तराखंड की हॉकी टीम बढ़िया करेगीः यूं तो चित्रांशी को उम्मीद है कि ज्यादातर खेलों में उत्तराखंड की टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन उनकी उम्मीद हॉकी से बहुत ज्यादा है। चित्रांशी कहती हैं-हॉकी में हम बहुत अच्छा कर रहे हैैं। वंदना कटारिया भारतीय हॉकी टीम में खेल रही हैै। यह बड़ी बात है। चित्रांशी के अनुसार-जब वह हॉकी खेला करती थीं, तब वंदना और उनकी बहन उन्हें कैंपों में मिला करती थी। दोनों अच्छी खिलाड़ी रही हैं।
काश! मैं उत्तराखंड में खेल पाती नेशनल गेम
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