देहरादून: देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की दस्तक के बाद उत्तराखंड सरकार इससे निपटने की तैयारियों में जुट गई है। फिलहाल, राज्य में बाहर से आने वालों पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन सीमाओं पर रैंडम सैंपलिंग शुरू कर दी गई है। उत्तराखंड में नेपाल से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कोविड की दोनों डोज लगाने का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया गया है।
प्रदेश में अभी कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रोन का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इसके बावजूद सरकार अपने स्तर से पूरी तैयारियों में जुटी हुई है। सरकार ने हाल ही में इसके लिए एक गाइडलाइन भी जारी की है। इसमें सभी जिलाधिकारियों से राज्य के एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बार्डर चेक पोस्ट, पर्यटन स्थल और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रैंडम सैंपलिंग कराने तथा संक्रमित पाए गए व्यक्तियों को कोरोना प्रोटोकाल के तहत चिकित्सा सुविधा प्रदान करने को कहा गया है।
एसओपी में राज्य के सभी महाविद्यालय, मेडिकल व नर्सिंग कालेज, तथा शैक्षिक संस्थानों में कोविड सैंपलिंग के निर्देश दिए गए हैं। सभी सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित शारीरिक दूरी, मास्क पहनना व सैनिटाइजेशन का सख्ती से अनुपालन कराने को कहा गया है। इस क्रम में देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल जिलों में रैंडम सैंपलिंग की जा रही है। नैनीताल में थोड़ी सख्ती भी है। यहां स्वास्थ्य विभाग की टीम पर्यटकों से वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट या आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही शहर में प्रवेश दे रही है।
सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन का कहना है कि राज्य में आने-जाने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। एहतियात के तौर पर केवल रैंडम टेस्टिंग की जा रही है। कोई संक्रमित पाया जाता है तो उसे उचित इलाज देने के साथ ही होम क्वारंटाइन अथवा अस्पताल में रखने की व्यवस्था की गई है। उनके संपर्क में आने वालों को भी चिह्नित किया जा रहा है। जहां तक ओमिक्रोन की बात है तो देश में अभी कुछ ही केस आए हैं। सभी संक्रमित निगरानी में हैं। इससे अभी संक्रमण की स्थिति नहीं है। स्थित पर नजर रखी जा रही है। जरूरत पडऩे पर कोविड प्रतिबंध लागू करने पर विचार किया जाएगा।