नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को बीजिंग में विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के दौरान ‘गहन चर्चा’ की। इस दौरान दोनों ने छह बिंदुओं पर सहमति बनाई, जिनमें सीमा पर शांति बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वीं बैठक, क्रमशः भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी, 18 दिसंबर 2024 को बीजिंग में आयोजित की गई। इसमें विशेष प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में हाल ही में हुई बैठक के दौरान लिए गए निर्णय के अनुसार बैठक की, जिसमें सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के प्रबंधन की देखरेख करने और सीमा प्रश्न का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए जल्द से जल्द बैठक करने का निर्णय लिया गया।
दोनों ने छह बिंदुओं पर सहमति बनाई, जिनमें सीमा पर शांति बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देना शामिल है। पांच साल के अंतराल के बाद हुई इस बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर पहुंचे समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन किया और इसके क्रियान्वयन कार्य को जारी रखने की आवश्यकता दोहराई। दोनों अधिकारियों ने माना कि सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों के समग्र दृष्टिकोण से सही तरीके से निपटाया जाना चाहिए ताकि संबंधों के विकास पर कोई असर न पड़े।
दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए उपाय जारी रखने और द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। दोनों देशों ने 2005 में विशेष प्रतिनिधियों की तरफ से सीमा विवाद सुलझाने के लिए तय राजनीतिक दिशा-निर्देशों के अनुसार एक न्यायसंगत, तार्किक और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की प्रक्रिया को जारी रखने का संकल्प लिया। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक उपाय करने पर सहमति जताई।
सीमा स्थिति का आकलन करते हुए दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और बेहतर बनाने, विश्वास निर्माण के उपायों को मजबूत करने और सीमा पर स्थायी शांति व स्थिरता प्राप्त करने पर सहमति जताई। सीमा पार आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने, भारतीय तीर्थयात्रियों की तिब्बत यात्रा को फिर से शुरू करने, सीमा पार नदियों के सहयोग और नाथुला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी।
दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को और मजबूत करने, कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देने और सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) को बैठक के निर्णयों के क्रियान्वयन में प्रभावी भूमिका निभाने की आवश्यकता जताई। दोनों पक्षों ने अगले साल भारत में विशेष प्रतिनिधियों की नई बैठक आयोजित करने पर सहमति जताई। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर व्यापक और गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भारत-चीन संबंधों की स्थिरता और पूर्वानुमेयता पर जोर दिया।
इस वार्ता के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इसके बाद हान ने कहा कि चीन और भारत, जो प्राचीन पूर्वी सभ्यताएं और उभरती महाशक्तियां हैं, स्वतंत्रता, एकता और सहयोग के सिद्धांतों का पालन करती हैं, जिनका वैश्विक प्रभाव और रणनीतिक महत्व है।
पांच साल बाद भारत-चीन के विशेष प्रतिनिधियों की हुई बैठक, नाथुला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमति
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