देश की मिट्टी में उपजा हर खाद्य पदार्थ अपने स्वाद से अब दुसरे देश के लोगों को भी दीवाना बना रहा है। आम, लीची, केला, अमरूद जैसी बागवानी फसलों की पहले से ही विदेशी बाजारों में मांग है। अब इनमें अनानास भी शामिल हो गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने मणिपुर सरकार के सहयोग से अनानास के लिए दुबई में इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो आयोजित किया। वर्ष 2021-22 में 4.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 7665.42 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात किया गया।
जैविक प्रमाणित कृषि क्षेत्र है पूर्वोत्तर
दरअसल, देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) प्राकृतिक रूप से उगाए जाने वाले जैविक प्रमाणित कृषि क्षेत्र के लिए जाना जाता है। इन्हीं इलाकों में अनानास की भी खेती की जाती है। ऐसे में किसानों को ताजे अनानास की निर्यात क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के माध्यम से उपभोक्ताओं के बीच मणिपुर के अनानास के लिए दुबई, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक ‘इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन शो’ आयोजित किया।
यह आयोजन स्थानीय स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा देने की सरकारी रणनीति का हिस्सा है।
इन देशों में होता है निर्यात
भारतीय अनानास के शीर्ष दस आयातक देश यूएई, नेपाल, कतर, मालदीव, अमेरिका, भूटान, बेल्जियम, ईरान, बहरीन और ओमान हैं। वर्ष 2021-22 में 4.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 7665.42 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात किया गया था।
देश में कहां-कहां होता है अनानास
वर्ष 2020-21 में 134.82 मीट्रिक टन (एमटी) के उत्पादन के साथ भारत में अनानास उत्पादन में मणिपुर छठे स्थान पर है, जिसकी भारत में कुल उत्पादन में 7.46 फीसदी हिस्सेदारी है। पहले केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम, और मिजोरम जैसे राज्यों में होती थी। हालांकि अब मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश के किसान भी इसका उत्पादन करने लगे हैं। केरल, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इसकी खेती 12 महीने की जाती है।
मणिपुरी अनानास, जिसे एपीडा के सहयोग से प्रदर्शित किया जाता है, पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) का फाइबर से भरपूर मीठा फल है। अनानास इम्फाल पूर्वी जिले, मणिपुर की थायोंग ऑर्गेनिक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से खरीदे जाते हैं। इन-स्टोर एक्सपोर्ट प्रमोशन मणिपुर ऑर्गेनिक मिशन एजेंसी (मोमा) ने सीधे मणिपुर के किसानों से ही अनानास की जैविक प्रमाणित केव किस्म को प्राप्त करने का समर्थन किया है। पूर्वोत्तर अनानास एनईआर में उगाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण उष्णकटिबंधीय फलों में से एक है और फाइबर से भरपूर इस फल की खेती लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है।
एपीडा के सहयोग से पिछले कुछ वर्षों में असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों से कृषि उपज के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
क्या है एपिडा
देश से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात के महत्व को महसूस करते हुए, सरकार ने 1986 में भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत संसद के एक अधिनियम के माध्यम से एपीडा की स्थापना की थी। उसके बाद नवनिर्मित निकाय ने तत्कालीन मौजूद प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात संवर्धन परिषद का स्थान ले लिया। एपीडा अपने 14 उत्पाद श्रेणियों में आवंटित कार्य के दायरे और अधिदेश के अनुसार अधिकांश गतिविधियां संचालित करता रहा है, जिसमें मुख्य रूप से फल और सब्जियां, प्रसंस्कृत फल तथा सब्जियां, पशु, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद एवं अनाज क्षेत्र शामिल हैं।
‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की अपील को ध्यान में रखते हुए, एपीडा स्थानीय रूप से सोर्स किए गए भौगोलिक संकेतों (जीआई) के साथ-साथ स्वदेशी, स्थानिक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर फोकस करता रहा है। ‘व्यवसाय करने की सुगमता’ सुनिश्चित करने पर भारत सरकार द्वारा दिए जा रहे बल के समन्वय में, एपीडा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए ट्रैसिएबिलिटी की क्षमता और बाजार संपर्क सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम कर रहा है। एपीडा का जोर भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण सुनिश्चित करने और किसानों के लिए काश्तकारी की औपचारिकता सुनिश्चित करने पर रहा है, जो निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करता है।