25.1 C
Dehradun
Saturday, July 12, 2025

हम दो-हमारे दो से नीचे पहुंची भारत की जन्म दर

नई दिल्ली। मौजूदा धीमी जन्म दर के बावजूद युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है। इसमें 0-14 आयु वर्ग में 24%, 10-19 में 17% और 10-24 में 26% है। अभी देश की 68 फीसदी आबादी कामकाजी आयु (15-64) की है, जो पर्याप्त रोजगार और नीतिगत समर्थन के साथ संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करती है। लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए कम प्रजनन दर खतरा हो सकती है।
आबादी नियंत्रण का हम दो-हमारे दो का नारा सच साबित हो रहा है। देश की जन्म दर इससे भी नीचे 1.9 पर पहुंच गई है। यानी, एक महिला औसत 1.9 बच्चे ही पैदा कर रही है। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम जनसांख्यिकी रिपोर्ट में हुआ है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया कि 2025 के अंत तक भारत की आबादी दुनिया में सर्वाधिक 1.46 अरब तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट में दर्शाए गए जनसंख्या संरचना, प्रजनन क्षमता व जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण बदलावों से बड़े जनसांख्यिकीय परिवर्तन का संकेत मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक अगले 40 वर्ष में देश की आबादी 1.7 अरब तक जाएगी और उसके बाद कम होना शुरू होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा धीमी जन्म दर के बावजूद युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है। इसमें 0-14 आयु वर्ग में 24%, 10-19 में 17% और 10-24 में 26% है। अभी देश की 68 फीसदी आबादी कामकाजी आयु (15-64) की है, जो पर्याप्त रोजगार और नीतिगत समर्थन के साथ संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करती है। लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए कम प्रजनन दर खतरा हो सकती है।
जनसंख्या को उसी स्तर पर नियंत्रण में रखते हुए आगे बढ़ने के लिए औसत प्रतिस्थापन दर 2.1 होनी चाहिए। इससे कम होने पर भविष्य में युवाओं की संख्या कम हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल प्रजनन दर 1.9 है। इसका मतलब यह है कि औसतन भारतीय महिलाएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जनसंख्या के आकार को बनाए रखने के लिए जरूरत से भी कम बच्चे पैदा कर रही हैं।
लंबे अंतराल में आबादी कम होने की आशंका है, हालांकि इसमें 50 से 60 साल का वक्त लगेगा। वर्तमान में सबसे बड़ी ताकत युवा आबादी के घटने का खतरा है।
जीवन प्रत्याशा बढ़ने की उम्मीद रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बुजुर्ग आबादी (65 वर्ष या अधिक) वर्तमान में 7 फीसदी है। इस आंकड़े के आने वाले दशकों में जीवन प्रत्याशा में सुधार के साथ बढ़ने की उम्मीद है। 2025 तक, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 वर्ष और महिलाओं के लिए 74 वर्ष होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय सीमा भारत में प्रजनन स्वतंत्रता के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक हैं। सर्वे में शामिल हुए करीब 38 फीसदी लोगों ने माना कि वित्तीय सीमा उन्हें परिवार बढ़ाने से रोक रही है। 21 फीसदी को नौकरी की असुरक्षा, 22 फीसदी लोग आवास की कमी और 18 फीसदी लोगों को विश्वसनीय चाइल्डकेयर की कमी माता-पिता बनने से रोक रही है। खराब सामान्य स्वास्थ्य (15 फीसदी), बांझपन (13 फीसदी) और गर्भावस्था से संबंधित देखभाल तक सीमित पहुंच (14 फीसदी) जैसी स्वास्थ्य बाधाएं भी तनाव को बढ़ाती हैं।

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img
spot_img

Latest Articles

राष्ट्रीय खेलों के बाद उत्तराखंड में खेलों की नई उड़ान, सीएम धामी ने दिए...

0
देहरादून। उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों की अभूतपूर्व सफलता के बाद अब राज्य सरकार खेलों को लेकर नई दृष्टि और रणनीति के साथ...

हरिद्वार में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के तहत जेल भेजे गए 13 फर्जी बाबा

0
हरिद्वार। ऑपरेशन कालनेमि के तहत उत्तराखंड में छद्म वेशधारियों के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान चल रहा है। शुक्रवार को देहरादून में एक बांग्लादेशी...

मुख्यमंत्री के निर्देशों पर ढोंगी बाबाओं के विरुद्ध युद्धस्तर पर चल रहा दून पुलिस...

0
-अभियान के दूसरे दिन भी अलग-अलग थाना क्षेत्रों से साधु संतों के भेष में घूम रहे 23 ढोंगी बाबाओं को दून पुलिस ने किया...

आम लोगों के विश्वास का केंद्र होने के साथ-साथ लोगों की आकांक्षाओं को भी...

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को आई.आर.डी.टी ऑडिटोरियम, सर्वे चैक, देहरादून में सी.एस.सी (कॉमन सर्विस सेंटर) दिवस-2025 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम...

ऋण प्रक्रियाओं और बीमा क्लेम में सरलीकरण हो, ऋण जमा अनुपात बढ़ाने पर दिया...

0
देहरादूून। केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का लोगों को पूरा लाभ मिले, इसके लिए लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के तहत ऋण देने की...