पुणे। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को लेकर चल रहे सस्पेंस के बीच एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने स्पष्ट कर दिया है कि सीएम भाजपा से ही होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि दो उपमुख्यमंत्री महायुति के अन्य घटकों से होंगे। अजित पवार ने शनिवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि हालिया महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति बड़ी जीत के साथ सत्ता में वापस लौटी है। इसमें शामिल जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 132 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। वहीं एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है।
हालांकि, नतीजों की घोषणा के एक सप्ताह के बाद भी अगले सीएम को लेकर सस्पेंस जारी है और सरकार गठन में देरी हुई है। अजित पवार 95 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बाबा अधव से मिलने शहर में थे, जिन्होंने हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के कथित दुरुपयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। यह पूछे जाने पर कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, पवार ने कहा, ‘राज्य में भाजपा से एक मुख्यमंत्री और महायुति के अन्य दो दलों से दो उप मुख्यमंत्री होंगे। संभावित रूप से शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को होगा। हमने एक मजबूत दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है।’
इससे पहले, राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार शाम को घोषणा की थी कि नई महायुति सरकार 5 दिसंबर की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी। हालांकि अभी तक इस बात की घोषणा नहीं की गई है कि मुख्यमंत्री कौन होगा, लेकिन भाजपा सूत्रों ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस, जो दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और पिछली एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री थे, शीर्ष पद के लिए सबसे आगे हैं। शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में अजित पवार एक और उपमुख्यमंत्री थे।
महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण की तिथि घोषित होने के बाद नई सरकार में उपमुख्यमंत्री पद के दावेदार अजीत पवार ने कहा है कि ये पहला अवसर नहीं है, जब चुनाव परिणाम आने के बाद सरकार गठन में समय लग रहा है। 1999 में भी सरकार बनने में एक महीना लग गया था। बता दें कि अजीत पवार ने 1999 में बनी कांग्रेसनीत सरकार का उल्लेख करते हुए यह बात कही है। जब चुनाव शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार रहते कराए गए थे। उस समय शिवसेना और भाजपा तो गठबंधन में चुनाव लड़े थे, लेकिन कुछ ही माह पहले कांग्रेस से अलग हुई राष्ट्रवादी कांग्रेस इन तीनों दलों से अलग लड़कर 58 सीटें जीती थी, और कांग्रेस को 75 सीटें मिली थीं। शिवसेना को 69 एवं भाजपा को 56 सीटें मिली थीं। तब कांग्रेस और राकांपा ने निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बना ली थी। यह सरकार उसके बाद पूरे 15 साल, यानी 2014 तक चली थी। अजीत पवार ने आज यह भी स्पष्ट कर दिया कि गुरुवार रात दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में यह तय हो गया था कि मुख्यमंत्री भाजपा का एवं एक-एक उपमुख्यमंत्री शिवसेना एवं राकांपा से होंगे।