कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तराखंड सरकार ने आज से कक्षा 9 से 12 वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए हैं. जबकि संक्रमण से बचाव के लिए अभी बच्चों का कोविड टीकाकरण तक शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में स्कूली बच्चों को बिना सुरक्षा कवच के स्कूल जाना पड़ रहा है. जिससे बच्चों में संक्रमण फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर संक्रमण का असर ज्यादा होने को लेकर विशेषज्ञ पहले ही आगाह कर चुके हैं. सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सवाल खड़ा कर रही है. नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आधी-अधूरी तैयारियों के साथ स्कूल खोलने का फैसला बच्चों की जान से खिलवाड़ करने वाला है. हम स्कूल खोलने का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन बच्चों को संक्रमण से बचाव के लिए स्कूलों में किस तरह की इंतजाम किए गए हैं.
इसे लेकर पहले पूरी तैयारियां की जानी चाहिए थी. सभी स्कूलों में पूर्ण इंतजाम होने के बाद स्कूल खोले जाने चाहिए थे. प्रीतम सिंह ने कहा कि पहली लहर में कोरोना संक्रमण काबू में आने के बाद सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला लिया था. लेकिन स्कूलों में बच्चों और अध्यापकों के संक्रमित होने पर फिर से स्कूल बंद करने पड़े. सरकार अपने पूर्व के फैसलों से सबक नहीं ले रही है. एक तरफ सरकार व स्वास्थ्य विभाग कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को संक्रमण से बचाव व उपचार की तैयारियां कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ आधी अधूरी तैयारियों के बीच जो स्कूल खोलने का फैसला लिया है हम उसका विरोध कर रहे हैं.
शिक्षकों और कर्मचारियों का नहीं हुआ पूर्ण वैक्सीनेशन
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार ने आनन-फानन स्कूल खुलवाकर बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने का काम किया है. उनकी जानकारी में आया है कि स्कूलों के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का अभी तक वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. 20 फीसदी से अधिक शिक्षकों एवं कर्मचारियों का अभी वैक्सीनेशन भी नहीं हुआ है. सरकार ने किसी भी जिम्मेदारी से बचने के लिए कह दिया है कि स्कूल में उन छात्रों को ही प्रवेश मिल रहा है, जिनके पास अभिभावकों का सहमतिपत्र है. यानि आप समझ सकते हैं कि सारी जिम्मेदारी अभिभावकों की होगी. लंबे समय से बंद स्कूलों में साफ-सफाई न होने कई स्कूलों में झाड़ियां उग आई हैं. इन स्कूलों में सफाई नहीं की गई है. ऐसे में आप खुद समझ सकते हैं कि सरकार को बच्चों की कितनी चिंता है.
बिना बजट कहां से होगा सैनिटाइज
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि स्कूलों के पास सैनिटाइजेशन करवाने तक के लिए अलग से फंड की व्यवस्था नहीं है. शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को सैनिटाइज करने के आदेश तो जारी किए गए हैं, लेकिन इसके लिए बजट उपलब्ध नहीं कराया गया है. स्कूल खुलने से पहले विभाग को इसके लिए बजट की व्यवस्था करनी चाहिए थी. प्रतीम सिंह ने कहा कि राज्य के 1170 स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है. वहीं 2109 स्कूलों में बच्चों को पीने के पानी की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है और सरकार कह रही है कि उत्तरखंड खुले में शौच मुक्त हो चुका है. यही नहीं एक रूपये में हर घर नल, हर घर जल पहुंचाया जा रहा है. सरकार की पोल खुद सरकारी स्कूल खोल रहे हैं.