नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि संघ सरकार को यह नहीं बताएगा कि उसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कैसे निपटना है। उन्होंने साफ किया कि सरकार जो भी फैसला करेगी, संघ उसका समर्थन करेगा। भागवत ने जोर दिया कि किसी भी तरह की दोस्ती दबाव में नहीं होनी चाहिए, बल्कि आपसी सहमति पर आधारित होनी चाहिए।
भागवत तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ट्रंप की तरफ से लगाए गए शुल्क पर सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार जरूरी है क्योंकि इससे देशों के बीच संबंध बने रहते हैं। लेकिन यह दबाव में नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मित्रता दबाव में फल-फूल नहीं सकती। यह स्वतंत्र और आपसी सहमति पर आधारित होनी चाहिए।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखना चाहिए, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि दुनिया आपसी सहयोग और परस्पर निर्भरता पर चलती है। ऐसे में हमें संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि व्यापार में स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।
भागवत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। यह शुल्क भारत की ओर से रूस से तेल खरीदने को लेकर लगाया गया। इसके बाद कुल टैरिफ की दर 50 प्रतिशत हो गई है। इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ने की आशंका है। भागवत ने दोहराया कि इस पर सरकार को जो करना है, वही करेगी और संघ सिर्फ उसका समर्थन करेगा।
यह व्याख्यान श्रृंखला आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित की गई थी। बुधवार को भागवत ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं। इस दौरान उन्होंने भारतीयों से अपील की थी कि वे स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं और विदेशी उत्पादों पर निर्भरता घटाएं।