25 C
Dehradun
Tuesday, June 24, 2025

वनों को आग से बचाने के लिए शीतलाखेत मॉडल आदर्शः मुख्यमंत्री

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए शीतलाखेत मॉडल को आदर्श मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि वनों को बचाने में समुदाय किस प्रकार अपना रचनात्मक व सकारात्मक योगदान दे सकते हैं, शीतलाखेत मॉडल इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं और धीरे-धीरे सभी जनपद इसे अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के बेशकीमती वनों को अग्नि से बचाने के लिए स्थानीय समुदायों, ग्रामीणों और विशेषकर महिलाओं की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि समुदाय ही सबसे पहले किसी भी आपदा का सामना करते हैं और यदि वे समय पर इसकी सूचना प्रशासन को दें तथा राहत और बचाव दलों के पहुंचने से पहले छोटे-छोटे प्रयास प्रारंभ कर दें तो काफी हद तक आपदाओं के खतरों को कम किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को उत्तराखण्ड में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर पीएमओ कार्यालय के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गृह मंत्रालय, भारत सरकार और उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मॉक ड्रिल का जायजा लिया। यह मॉक ड्रिल राज्य में वनाग्नि के दृष्टिकोण से सबसे अधिक प्रभावित छह जनपदों, अल्मोड़ा, चम्पावत, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून के 16 स्थानों पर की गई। यह देश की पहली मॉक ड्रिल है जो वनाग्नि नियंत्रण में समुदायों की सहभागिता पर केन्द्रित है।
यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से उन्होंने बारी-बारी सभी छह जनपदों के जिलाधिकारियों से मॉक ड्रिल को लेकर जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं है बल्कि यह जानने और समझने का अवसर भी है कि क्या हमारी स्ट्रेंथ है और क्या कमियां हैं ताकि उनमें सुधार किया जा सके। इससे तैयारियों को परखने के साथ ही आने वाले दिनों में वनाग्नि की घटनाओं में त्वरित नियंत्रण पाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही चुनौतियों का धरातल पर परीक्षण होगा और समाधान के रास्ते निकलेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य का 71 प्रतिशत भूभाग घने वनों से अच्छादित है और यह जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर वर्ष हमें वनाग्नि की चुनौतियों से जूझना पड़ता है और इसके कारण न सिर्फ वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, बल्कि वन्य जीवों के साथ पर्यावरण तथा स्थानीय समुदायों की आजीविका भी प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से प्रभावी तरीके से निपटने में सभी विभागों के साथ ही स्थानीय समुदायों को फ्रंटफुट में आकर कार्य करना पड़ेगा। वनाग्नि हो या कोई अन्य आपदा, यह विषय एक विभाग का नहीं है बल्कि समूचे तंत्र का है और सभी को इसमें ओनरशिप लेनी होगी।
उन्होंने कहा कि युवक मंगल दल, महिला मंगल दल, एनसीसी और एनएसएस कैडेट्स, स्थानीय ग्रामीण और विशेषकर महिलाएं, आपदा मित्र, भारत स्काउट एंड गाइड, फायर वाचर्स, रेड क्रास, एनजीओ, पंचायत प्रतिनिधि, ग्राम प्रधान और विद्यार्थियों को भी जागरूक और प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान के लिए वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई समस्याओं का ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाएं बनाई जाएं। उन्होंने प्रमुख सचिव  आर.के. सुधांशु को निर्देश दिये कि वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पत्र जारी किया जाए। वनाग्नि को रोकने के लिए चाल-खाल, तलैया और अन्य प्रभावी उपायों पर कार्य किए जाएं ताकि जमीन में नमी बनी रहे। इसके लिए जलागम विभाग का भी सहयोग लिया जाए।
आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने के निर्देशः मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि नियंत्रण में आधुनिक तकनीकों, जैसे सैटेलाइट मॉनिटरिंग, ड्रोन सर्विलांस, रिमोट सेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फायर डिटेक्शन सिस्टम का उपयोग बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने गृह मंत्रालय का भी वनाग्नि नियंत्रण में सहयोग प्रदान करने के लिए आभार जताया। साथ ही वायु सेना द्वारा समय-समय पर वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराने के लिए आभार जताया। उन्होंने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की भूमिकाओं को भी सराहा।
शीतलाखेत मॉडल की विशेषताएंः हर वर्ष 01 अप्रैल को ओण दिवस मनाया जाता है, जिसके तहत महिलाओं द्वारा एक अप्रैल से पहले खेतों के मेड़ों में उगी कांटेदार झाड़ियों, खरपतवारों को नियंत्रित तरीके से जलाया जाता है। वनाग्नि संवेदनशील क्षेत्रों में फायर पट्टी का निर्माण कर नियंत्रित फुकान किया जाता है। बांज, काफल, उतीश आदि चौड़ी पत्ती प्रजाति के पेड़ों के कटान पर पाबंदी। वनाग्नि नियंत्रण के लिए सभी गांवों में महिला मंगल दलों का गठन। आग बुझाने में सहयोग करने वाले महिला मंगल दलों को किया जाता है सम्मानित। वनाग्नि नियंत्रण में वन विभाग का पूरा सहयोग करते हैं ग्रामीण। आग लगने पर महिलाओं, ग्रामीणों द्वारा पहले एक घंटे में वन विभाग के सहयोग या स्वयं ही आग को नियंत्रित करने के प्रयास आरम्भ कर दिए जाते हैं। व्हाट्सप्प समूह की माध्यम से वनाग्नि आरम्भ होने की सूचना का आदान प्रदान होता है। महिलाओं, युवाओं और वन कर्मियों के सहयोग से जंगल बचाओ-जीवन बचाओ अभियान संचालित। 30 से अधिक गांवों की महिलाओं, युवाओं, जन प्रतिनिधियों और वन कर्मियों के व्हाट्सएप समूह का गठन। वन विभाग के 541 कर्मचारी हुए मॉक अभ्यास में शामिल।
अपर प्रमुख वन संरक्षक  निशांत वर्मा ने बताया कि इस मॉक ड्रिल में वन विभाग के 541 कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया। साथ ही 4095 अग्निशमन उपकरणों को शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र तथा गांव में अग्नि की स्थिति को सभी विभागों द्वारा आपसी समन्वय से नियंत्रित किया गया। मानव हानि, पशु हानि पर त्वरित गति से राहत और बचाव कार्य संचालित किए गए। उन्होंने बताया कि सभी 16 साइट्स पर स्थानीय समुदायों, वन पंचायत प्रतिनिधियों, ग्राम प्रधानों तथा वन विभाग के नव नियुक्त वन आरक्षियों व वन दरोगाओं को बेसिक प्रशिक्षण दिया गया।
चुनौतियों पर विस्तार से हुई चर्चाः एनडीएमए के सीनियर कंसलटेंट आदित्य कुमार ने बाद में सभी 16 साइटों के इंसीडेंट कमाण्डरों की डीब्रीफिंग ली। उन्होंने सभी से मॉक ड्रिल किस तरह से संचालित की गई, इसकी जानकारी ली। इंसीडेंट कमाण्डरों ने जो कमियां रहीं और जिन चुनौतियों का सामना किया, उनके बारे में विस्तार से बताया। समुदायों की सहभागिता किस प्रकार सुनिश्चित की गई, तकनीक का प्रयोग किस तरह किया गया, संसाधनों को किस प्रकार रवाना किया गया, आग पर कितने समय में काबू पाया गया, संचार व संवाद में कहां गैप्स रहे, इस पर विस्तार से इंसीडेंट कमाण्डरों ने जानकारी साझा की। मॉक ड्रिल के दौरान आर्मी तथा आईटीबीपी से सहयोग लिया गया तथा आईआरएस प्रणाली के तहत मॉक ड्रिल संचालित की गई।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास  विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जो सुझाव आए हैं उन पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाएगा और जो कमियां निकलकर आई हैं, उन्हें दूर किया जाएगा ताकि आने वाले दिनों में वनाग्नि से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके। इस अवसर पर राज्य सलाहकार समिति आपदा प्रबंधन विभाग के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आरके सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, आईजी फायर मुख्तार मोहसिन, एनडीएमए के सीनियर कंसल्टेंट आदित्य कुमार, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, अपर सचिव विनीत कुमार, अपर प्रमुख वन संरक्षक  निशांत वर्मा, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबेदुल्लाह अंसारी आदि मौजूद थे।

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img
spot_img

Latest Articles

CM फडणवीस के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट का मामला, कोर्ट ने आरोपी को अग्रिम...

0
मुंबई: मुंबई की एक अदालत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर...

गृह मंत्री अमित शाह के साथ चार प्रदेशों के सीएम ने की मीटिंग, विभिन्न...

0
वाराणसी। भारत सरकार में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर सोमवार की शाम को पहुंचे। एयरपोर्ट पहुंचने पर...

ईरान ने कतर के बाद इराक और सीरिया में भी दागी मिसाइलें, अमेरिकी सैन्य...

0
दोहा: ईरान ने सोमवार की देर रात कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदीद पर मिसाइल हमला किया है। अमेरिका की ओर से ईरान...

मुख्यमंत्री ने दिए सारकोट की तर्ज पर प्रत्येक जिले में दो-दो आदर्श गांव बनाने...

0
देहरादून। मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम सारकोट की तर्ज पर राज्य के प्रत्येक जिले में दो-दो आदर्श गांव बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार...

नैनीताल हाईकोर्ट ने लगाई पंचायत चुनाव पर रोक

0
देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने धामी सरकार को बड़ा झटका दे दिया है। सोमवार को आरक्षण विवाद पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव...