नई दिल्ली। खुफिया एजेंसियों ने लाल किले के पास सोमवार को हुए कार धमाके से जुड़ी एक बड़ी आतंकी साजिश को उजागर किया है। इसके अनुसार आतंकियों ने कथित तौर पर देश में कई जगहों पर एक साथ हमले के लिए लगभग 32 पुराने कारों में विस्फोटक लगाकर धमाके करने की साजिश रची थी। आतंकियों की सूची में अयोध्या में राम मंदिर भी थी और इसके जरिये वे बाबरी ढांचा विध्वंस का बदला लेने का संदेश देना चाहते थे। इस बीच दिल्ली में विस्फोट स्थल से मिले नमूनों की जांच में अमोनियम नाइट्रेट की पुष्टि हो गई है। पुलिस को मौके से जो एक कारतूस व एक खोखा मिला था, वे नौ एमएम के पाए गए। खुफिया एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, जांच का दायरा तब और बढ़ गया जब पकड़े गए डॉक्टरों से पता चला कि आतंकियों ने हमलों में संभावित इस्तेमाल के लिए एक आई-20 और एक ईकोस्पोर्ट कार को मॉडिफाई करने का काम शुरू कर दिया था। अब इस बात की जांच की जा रही है कि क्या सिलसिलेवार विस्फोटों को अंजाम देने की व्यापक योजना के तहत इसी तरह अन्य कारों को भी तैयार किया जा रहा था। इसके लिए कुछ कारें जुटा ली गई थीं और कुछ का इंतजाम किया जा रहा था। एक कार को अल फलाह यूनिवर्सिटी परिसर से बरामद भी कर लिया गया है। जांच एजेंसियों ने बताया कि लगभग आठ आतंकी कथित तौर पर चार स्थानों पर एक साथ विस्फोट करने की तैयारी कर रहे थे, जिनमें से प्रत्येक जोड़े को एक शहर सौंपा गया था।
दिल्ली संवाददाता के अनुसार, जांच एजेंसियों को मिले सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी डॉ. उमर ने सोमवार दोपहर लाल किले की पार्किंग में 3:20 पर प्रवेश किया था और शाम 6:22 मिनट पर बाहर निकला था। इन तीन घंटों तक वह पार्किंग के अंदर ही आई-20 कार में बैठा रहा।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, यह जानकारी सामने आने के बाद जांच एजेंसियों ने उमर के साथियों से पूछताछ की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी में कार्रवाई के बाद वह अमोनियम नाइट्रेट के अलावा फ्यूल ऑयल, टाइमर, डेटोनेटर सहित बम बनाने का अन्य सामान लेकर निकला था। जैश के एक हैंडलर से उसने कई माह पहले विस्फोटक बनाने का प्रशिक्षण लिया था। सूत्र बताते हैं कि उसे कुछ ही समय में बम बनाने में महारत हासिल थी। ऐसे में जांच एजेंसियां मान रही हैं कि उसने तीन घंटे पार्किंग में बैठकर बम बनाया। इसके बाद वह लाल किले के पास लोगों की भीड़ जुटने के लिए शाम होने का इंतजार करता रहा।
उसकी कारस्तानी सीसीटीवी कैमरे में कैद न हो पाए, इसके लिए उसने पार्किंग में पीछे की तरफ एकांत वाली जगह ढूंढी थी। पार्किंग में प्रवेश एवं निकासी द्वारों के अलावा अंदर भी 10 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन उसकी कार जहां खड़ी थी, वह हिस्सा कैमरे की जद में नहीं था।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि सोमवार को लाल किला बंद रहने के कारण पार्किंग में बहुत कम गाडि़यां थीं। वैसे यह बहुत बड़ा पार्किंग एरिया है। इसमें आम दिनों में बड़ी संख्या में टूरिस्ट बसें भी खड़ी होती हैं।सूत्रों के मुताबिक, उमर की साजिश दिल्ली में भीड़भाड़ वाले जगह पर विस्फोट करने की थी। इसके लिए फरीदाबाद से दिल्ली में घुसते ही उसने भीड़भाड़ वाली जगहों की रेकी की थी। रेकी करते हुए ही वह लाल किले तक आया था। फरीदाबाद से दिल्ली आने के दौरान उमर ने किन-किन मार्गों का इस्तेमाल किया और किन-किन लोगों से मुलाकात की। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।10 नवंबर को उमर का दिल्ली में प्रवेश करते हुए पुलिस को एक और सीसीटीवी फुटेज मिला है, जिसमें उमर सीसीटीवी कैमरों को देखता नजर आ रहा है। फुटेज में कार में पीछे वाली सीट पर काले रंग का बैग रखा दिखाई दिया है। यह फुटेज बदरपुर सीमा पर टोल का है।उमर जिस तरह कैमरे की तरफ देख रहा था, उससे पता चलता है कि वह काफी डरा हुआ था। उसे पता था कि पुलिस उसे ढूंढ रही है। पहचान से बचने के लिए उसने मास्क लगा रखा था। कनॉट प्लेस के आउटर सर्किल में दोपहर 2.30 बजे उमर को कार लेकर भागते हुए देखा गया। वहां से महज तीन किलोमीटर पर संसद भवन है।फरीदाबाद संवाददाता के अनुसार, सिलसिलेवार धमाकों के लिए आतंकी पुरानी कारों को इकट्ठा कर रहे थे। फरीदाबाद से आठ कारों का जुगाड़ करना था। चार का हो गया था। बाकी चार के लिए डीलरों से आतंकी संपर्क कर रहे थे। कुछ का सौदा लगभग हो गया था लेकिन भुगतान नहीं किया जा सका, तभी दिल्ली में धमाका हो गया। पुलिस ने चारों कार बरामद कर ली हैं। लाल किले के सामने धमाके में आई-20 कार फरीदाबाद के सेक्टर-37 स्थित रॉयल कार जोन से 29 अक्टूबर को खरीदी गई थी। यह कार तारिक ने खरीदी थी और इसे डॉ. उमर को बेच दिया। दस्तावेज पूरे नहीं होने की वजह से कार उमर के नाम नहीं आ सकी थी। इसी मामले में डॉ. शाहीन को गिरफ्तार कर उसकी स्विफ्ट कार बरामद की गई थी, जिसमें एके-47 राइफल थी। इसी कार में राइफल के अलावा पिस्टल और गोलियां भी बरामद की थीं। शाहीन ने यह कार पुरानी ही खरीदी थी। तीसरी कार बुधवार रात फरीदाबाद के खंदावली गांव में मिली। यह कार डॉ. उमर नबी बट के नाम थी। इसी कार से विस्फोटक सप्लाई किया गया था। चौथी ब्रेजा कार गुरुवार को यूनिवर्सिटी में डाक्टरों की रिहायशी परिसर से बरामद की गई। यह कार डा. शाहीन की है, जिसे उसने सितंबर, 2025 में खरीदा था।
डॉ. शाहीन की स्विफ्ट कार का इस्तेमाल विस्फोट लाने के लिए किया जाता था। इस कार को डा. मुजम्मिल प्रयोग करता था। डा. मुजम्मिल और डा. शाहीन की गहरी दोस्ती थी। इसलिए वह मुजम्मिल को कार दे देती थी। सूत्र बताते हैं कि जो विस्फोटक बाहर से आता था, वह इसी कार में लाकर धौज में लिए गए किराये के कमरे तक पहुंचाया जाता था।
पार्किंग में बैठकर 3 घंटे बनाया बम, 32 कारों से थी देश को दहलाने की साजिश
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