शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद पर उनके प्रतिनिधि शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ज्योतिर्मठ के 45 वें शंकराचार्य होंगे । आज मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थिति परमहंसी आश्रम में इसकी अधिकारिक रूप से सार्वजनिक घोषणा की गई ।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ब्रहमलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि शिष्य के रूप में विगत कई वर्षों से ज्योतिर्मठ की सभी धार्मिक एवं अन्य गतिविधियों को देख रहे थे। विगत रविवार को शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन हो गए थे। उसके बाद सोमवार को ब्रह्मलीन शंकराचार्य के निजी सचिव स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सार्वजनिक रूप से ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की विधिवत घोषणा की।
वर्ष 2006 में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से दीक्षा ली थी और उसके बाद वह स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नाम से पहचाने जाने लगे ।