उत्तराखंड में कोविड-19 की वजह से तबादला सत्र शून्य करने के आदेश के बाद शिक्षक संगठनों ने इस मामले पर मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. मुख्यमंत्री की तरफ से शिक्षकों को बाबत सकारात्मक आश्वासन मिला है, जिसके बाद शिक्षक संगठन अब मुख्यमंत्री से जल्द इस बाबत फैसला लेने का अनुरोध किया है. राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी ने बताया कि मंगलवार देर शाम उनकी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से टेलीफोन पर विस्तार से इस मुद्दे को लेकर बात हुई है. उन्होंने शिक्षकों की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को अवगत कराया इसके बाद मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए इस पर विचार करने का आश्वासन दिया.
शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को लिखित ज्ञापन भी भेजा है. इस ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार द्वारा तबादले और पदोन्नति के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए 7 दिसम्बर 2017 को तबादला कानून बनाया गया. तबादला कानून बनने के बाद से अब तक लगभग 4 वर्ष पूरे होने को है परन्तु एक बार भी स्थानन्तरण प्रक्रिया में तबादला कानून का सही से पालन नहीं हो पाया है जो सरकार की असफलता को दिखाने के लिए पर्याप्त है.शिक्षकों के द्वारा पूर्व में दिए गए सुझावों को विभाग / सरकार द्वारा एक्ट में सम्मिलित नहीं किया गया जो सुझाव तबादला कानून के सफल क्रियान्वयन को सरल व पारदर्शी बनाने के लिए दिए गए थे. तबादला कानून को माया ही इसलिए गया था कि प्रत्येक सत्र में अन्य विभिन्न गतिविधियों के चलते रहने के बावजूद भी तबादले और प्रमोशन एक निश्चित प्रक्रिया के तहत चलते रहे उसमें कोई रुकावट सरकार के चाहनेके बाद भी न आ पाए.
राजकीय शिक्षक संघ ने माँग की है कि किसी भी स्थिति में स्थानान्तरण सत्र शून्य न हो, लंबे समय से ट्रान्सफर की प्रतीक्षा कर रहे शिक्षकों का ध्यान रखते हुए ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से सभी श्रेणी के स्थानांतरण किये जाय और स्थानों का आवंटन भी ऑनलाइन कॉउंसलिंग के द्वारा किया जाय स्थितियां सामान्य होने पर नए विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करवाया जाय.