हरीश भट्ट
सरल व सौम्य स्वभाव के धनी उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत की कुछ संदर्भ विशेष टिप्पणियों पर आश्चर्यचकित होने की आवश्यकता नहीं है. तीव्रता से ठोस निर्णय करने वाले सीएम की बयान बाजी पावर गेम का हिस्सा हो सकती है. कभी-कभी कुछ बातों को यूं भी कह दिया जाता है, तो क्या वह सच में ही हो जाती है. जैसे कि दूर गगन में चंदा मामा, तो क्या सच में चांद मामा हो जाता है क्या? हर बात पर हंगामा करना अच्छा नहीं होता है. जैसे खातों में पैसे नहीं आए वैसे ही बनारस में कुंभ भी नहीं होता. अगर कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है तो बात नहीं, काम बोलता है और काम को बोलने में कुछ वक्त तो लगता ही है. जहां तीरथ सिंह रावत को 2017 में अनुकूल परिस्थितियों में विधायक के लायक नहीं समझा गया वही 2021 में प्रतिकूल होते जा रहे हालात से निपटने के लिए सरकार के मुखिया की कमान की सौंप दी. कुछ तो बात होगी, वरना यूं ही कोई टीम का कप्तान नहीं बन जाता. बस इसी शख्सियत की मौजूदगी से पॉलिटिकल कैलकुलेशन लड़खड़ा गई है. वरना तो अबकी बार कांग्रेस ही थी. क्योंकि उत्तराखंडी राजनीति की यही कहानी है.