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Monday, January 20, 2025

सड़क हादसों में जान बचाने वालों को मिलेगा इनाम, सरकार देगी मोटी रकम

नई दिल्ली। देश में अच्छे हाईवे और एक्सप्रेसवे के बढ़ते नेटवर्क के साथ सरकार की चिंता यह भी है कि सड़क हादसों की रफ्तार भी बढ़ती जा रही है। प्रतिवर्ष सड़क हादसों में होने वाले मृत्यु का आंकड़ा बढ़ते देख सरकार अब सड़क सुरक्षा सुरक्षा, जागरूकता और सख्ती के नए जतन आजमाने जा रही है। इसी प्रयास में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क हादसों में घायल होने वालों को समय पर अस्पताल पहुंचाने वालों की प्रोत्साहन राशि पांच हजार रुपये बढ़ाकर पच्चीस हजार करने जा रही है।
इसके साथ ही कमीशन पर ऐसे जागरूक जन भी तैयार करने की तैयारी है, जो सड़क पर गलत तरीके से खड़े वाहनों की जानकारी तुरंत यातायात पुलिस तक पहुंचाएंगे।
सड़क सुरक्षा पर शनिवार को नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में अभिनेता अनुपम खेर के साथ बातचीत में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि वर्तमान में दुखद औसत आंकड़ा यह है कि हर दिन 474 लोग सड़क हादसों में जान गंवा रहे हैं। रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतें कोविड, किसी दंग या युद्ध में होने वाली मौतों से भी अधिक हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में सड़क हादसों में एक लाख 80 हजार लोगों की जान गई, जिनमें से 66 प्रतिशत लोगों की आयु 18 से 34 वर्ष थी। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पचास हजार लोग ऐसे थे, जिन्हें यदि समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो उनकी जान नहीं जाती।
सड़क हादसों के घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को अभी सरकार की ओर से पांच हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन हाल ही में बैठक में उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि इस राशि को बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया जाए। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हम ऐसी व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं कि यदि कोई गलत ढंग से सड़क पर खड़े वाहन का फोटो नंबर सहित भेजेगा और उस वाहन का चालाना हो जाएगा तो चालान की राशि का दस प्रतिशत रुपया कमीशन के रूप में सूचना देने वाले व्यक्ति को मिलेगा। इससे लोग सक्रिय और जागरूक होंगे। नितिन गडकरी ने कार्यक्रम में बताया कि इस वर्ष दस हजार बच्चों की जान सड़क किनारे के स्कूलों की गलत एंट्री-एग्जिट व्यवस्था के कारण हुए हादसों में चली गई। यह बहुत चिंताजनक है। ऐसे स्कूलों के सामने रोड डिजाइन ठीक हो, फुटओवर ब्रिज भी हों। इसके लिए राज्य सरकारों से कहा है कि इस व्यवस्था के लिए अपने बजट में 1000-2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करें। सांसद या विधायक निधि भी इस पर खर्च की जानी चाहिए।

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