10.9 C
Dehradun
Wednesday, February 5, 2025

नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना, जानें माँ की महिमा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है। इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है। जिनका स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है। इस बार मां के दूसरे स्वरुप की उपासना 8 अक्टूबर यानी आज की जाएगी।

ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है…

ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इससे ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। नवरात्रि में दुर्गा पूजा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। मां ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया।

मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से…

मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है जो पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय है। मां ब्रह्मचारिणी सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर तपस्या में लीन रहती हैं। कठोर तप के कारण इनके मुख पर अद्भूद तेज और आभामंडल विद्यमान रहता है। मां के हाथों अक्ष माला और कमंडल होता है। मां को साक्षात ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है और ये तपस्या की प्रतिमूर्ति भी हैं। मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की उपासना कर सहज की सिद्धि प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा…

मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं।

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण…

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं।

spot_img

Related Articles

spot_img

Latest Articles

नौसेना की ताकत में होगा इजाफा, एंटी-शिप क्रूज मिसाइल की खरीद के लिए भारत...

0
नई दिल्ली। भारत ने मंगवार को एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस कदम...

‘देश के प्रथम नागरिक का अपमान’, सोनिया गांधी की टिप्पणी पर पीएम मोदी ने...

0
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की 'बेचारी' टिप्पणी पर कटाक्ष करते हुए कहा...

केजरीवाल पर एक और केस: शाहबाद पुलिस ने पांच धाराओं के तहत दर्ज की...

0
दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शाहाबाद पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ है।...

मुख्यमंत्री ने की विभिन्न विकास योजनाओं के लिये धनराशि स्वीकृत

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आपदाग्रस्त एवं ग्रामीण क्षेत्र खैर मानसिंह, द्रोण द्वारा, थेवा मालदेवता, अस्थल, अखण्डवाली भिलंग में 500 सोलर स्ट्रीट लगाये...

सीएम ने बैडमिंटन प्रतियोगिता के विजेता खिलाड़ियों को मेडल पहनाकर सम्मानित किया

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को परेड ग्राउण्ड, देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेल-2025 के अन्तर्गत आयोजित बैडमिंटन प्रतियोगिता का अवलोकन किया। इस...