अक्षय तृतीय के पावन पर्व पर शुक्रवार 14 मई को यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ खोल दिए गए हैं. शुक्रवार सुबह आठ बजे मां यमुना की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना किया गया. मां यमुना के भाई समेश्वर देवता (शनि महाराज) की डोली भी उन्हें विदा करने यमुनोत्री तक गई. जिसके बाद आज अभिजित मुहूर्त में दोपहर 12.15 बजे विशेष पूजा अर्चना और विधि विधान के साथ यमुनोत्री मंदिर के कपाट खोले गए.कोविड महामारी को देखते हुए इस बार कपाटोद्घाटन में पुजारी, तीर्थ पुरोहित एवं पलगीर समेत कुल 25 लोग शामिल हुए. इन सभी लोगों की कोरोना जांच कराई गई थी.
कोरोना काल बीतने के बाद चारधाम यात्रा शुरू होने पर तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम की सुगम यात्रा कर सकेंगे. लोनिवि ने बीते साल भिडियालीगाड़ के पास भूस्खलन से तबाह हुए यमुनोत्री धाम के पैदल रास्ते का बाईपास तैयार कर दिया है. बाईपास में पक्के पैदल मार्ग के साथ ही पुल का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. बीते साल 11 सितंबर को भिडियालीगाड़ के पास हुए भारी भूस्खलन से जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग पर बना पुल और करीब 150 मीटर रास्ता ध्वस्त हो गया था.