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Monday, June 23, 2025

एमआईआरवी तकनीक से लैस है अग्नि-5 मिसाइल, दुश्मन के कई ठिकानों को बनाया जा सकेगा निशाना

नई दिल्ली। भारत उन गिन-चुने देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक आधारित मिसाइल सिस्टम है। सोमवार को भारत ने एमआईआरवी तकनीक से सुसज्जित अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
दिव्यास्त्र नामक इस मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के विज्ञानियों की बधाई दी और कहा कि देश को डीआरडीओ के विज्ञानियों पर गर्व है। एमआईआरवी वह तकनीक है जिसके जरिये दुश्मन के कई ठिकानों को एक मिसाइल से एक साथ निशाना बनाया जा सकता है। इस प्रौद्योगिकी से सुसज्जित अग्नि-5 मिसाइल के जरिये परमाणु हथियारों को दुश्मन के कई चयनित ठिकानों पर सटीक तरीके से दागा जा सकता है। अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के पास यह प्रौद्योगिकी थी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने सोमवार को मिशन दिव्यास्त्र के तहत एमआइआरवी तकनीक से लैस स्वदेश निर्मित मिसाइल अग्नि-5 का सफल प्रक्षेपण परीक्षण किया। यह ऐसी तकनीक है कि एक मिसाइल अलग-अलग स्थानों के विभिन्न युद्ध क्षेत्रों को लक्ष्य बना सकती है।
इस प्रणाली की खासियत है कि यह स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसरों से लैस है। ये सुनिश्चित करते हैं कि री-एंट्री व्हीकल सटीक लक्ष्य बिंदुओं पर पहुंचे। इस मिसाइल को भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता का प्रतीक माना जा रहा है। अग्नि-5 मिसाइल की रेंज पांच हजार किलोमीटर है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस मिशन की परियोजना निदेशक एक महिला विज्ञानी हैं।
इस परीक्षण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विज्ञानियों को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा, ष्मिशन दिव्यास्त्र के लिए डीआरडीओ के विज्ञानियों पर गर्व है। एमआइआरवी तकनीक से लैस स्वदेश निर्मित अग्नि-5 मिसाइल का पहला प्रक्षेपण परीक्षण हुआ।
विशेषज्ञों के मुताबिक, एमआईआरवी की मदद से जितनी जरूरत हो, उसी के मुताबिक हथियारों का इस्तेमाल करना आसान होगा। मसलन, अगर किसी दुश्मन देश के एक शहर के एक हिस्से को लक्ष्य बनाना है तो उसके आकार के हिसाब से ही हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। साथ ही कई जगहों पर एक ही मिसाइल से हमला करना संभव होगा। इसकी शुरुआत पिछली सदी के सातवें दशक में शीत युद्ध के दौरान हुई थी। तब अमेरिका और रूस के बीच परमाणु युद्ध की संभावनाएं बन रही थीं, तब दोनों देशों ने एमआईआरवी प्रोजेक्ट शुरू किया था, ताकि एक दूसरे के कई ठिकानों पर एक साथ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सके। वर्ष 2017 में पाकिस्तान ने भी श्अबदीलश् नामक मिसाइल का परीक्षण किया था और दावा किया था कि यह एमआरआरवी तकनीक पर आधारित है। पाकिस्तानी सेना ने इस मिसाइल का दोबारा परीक्षण अक्टूबर, 2023 में किया था।

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