भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की अधिकांश आबादी कृषि एवं उससे संबंधित गतिविधियों से जुड़ी हुई है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का अहम योगदान है, लेकिन कृषि करना खर्चीला माना जाता है क्योंकि इसमें किसानों को खाद, बीज, जुताई, बुवाई समेत कई अन्य चीजों के लिए पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में जो किसान जिनके पास जमा पूंजी नहीं होती उनके लिए खेती करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की गई थी। 1998 से लेकर अब तक KISAN CREDIT CARD (KCC) में कई बार व्यापक संशोधन हुए हैं जिससे इसे और उपयोगी बनाया जा सके। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को कम ब्याज पर ऋण मुहैया करवाना है जिससे उन्हें सही समय पर खाद बीज एवं अन्य कामों को करने में सहूलियत हो। आइए जानते हैं किसान क्रेडिट कार्ड की हर एक विशेषताओं के बारे में…
किसान क्रेडिट कार्ड का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के तहत वित्तीय सहायता पहुंचाना, उनकी खेती और अन्य जरूरतों के लिए साधारण बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त समय में ऋण सहायता मुहैया करवाना प्रमुख है। कृषि फसलों की खेती के लिए अल्पकालीन ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड सबसे सशक्त माध्यम है।
कौन लोग KCC के लिए हैं पात्र
केसीसी के तहत काश्तकार किसान, बटाईदार, स्वयं सहायता समूह या वे सभी किसान जो खुद मालिक हैं इन सब को इस योजना में शामिल किया गया है। 2018-19 के बजट में मत्स्य और पशु पालन करने वाले किसानों को भी केसीसी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया जिन्हें इसकी सुविधाएं मिल रही है।
आवेदन में आसानी के लिए उठाए गए कदम
किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ हर किसान को मिले इसे सरल बनाने के लिए सरकार के द्वारा एक पेज का फॉर्म इस तरह से विकसित किया गया है कि पीएम किसान के तहत बैंक के रिकॉर्ड से मूल डाटा प्राप्त किया जाएगा और बोई गई फसल के विवरण के साथ केवल भूमि रिकॉर्ड की एक प्रति भरने की आवश्यकता होगी। किसान फॉर्म सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की वेबसाइट के साथ-साथ कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग सरकार की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं। साथी ऑनलाइन माध्यम में भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट www.agricoop.gov.in और पीएम किसान पोर्टल (www.pmkishan.gov.in) एवं कॉमन सर्विस सेंटर को भी फॉर्म भरने और संबंधित बैंक शाखाओं को भेजने के लिए अधिकृत किया गया है।
KCC की हुई समीक्षा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 7 जुलाई 2022 को एक बैठक आयोजित की गई जिसमें किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने की प्रगति की समीक्षा की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य उन बिंदुओं पर केंद्रित था जिसमें किसानों को केसीसी कार्ड जारी किए जा रहे हैं या नहीं, उन्हें इसकी सुविधाएं मिल रही है या नहीं इन सब बातों पर ध्यान केंद्रित करना था। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला भी इस बैठक में शामिल हुए और उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें कही। उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसान एवं मछुआरों को दिया जाना चाहिए जिनके पास जमानत नहीं होती। दरअसल, बैंकों से लोन लेने के लिए लोगों को अपने जमीन के कागजात या फिक्स डिपॉजिट गिरवी रखने पड़ते हैं, ऐसे में जो छोटे किसान और गरीब मछुआरे हैं उनके पास जमानत नहीं होती जिस वजह से उन्हें कई बार ऋण नहीं मिल पाता, इसी वजह से मंत्री ने इस बात पर विशेष जोर देते हुए बैठक में इस बात को रखा। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि बैंकों को केसीसी के दिशा निर्देशों को ठीक से पालन करना चाहिए। जो आवेदन अस्वीकार किए जाते हैं उनके बारे में स्पष्ट स्वीकृति के कारणों को बताना चाहिए ताकि उसमें सुधार लाया जा सके और किसानों को तय समय में ऋण मिल सके।