भारत के राष्ट्रपति द्वारा मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नथालपति वेंकट रमण को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. इस संबंध में एक अधिसूचना कानून एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा जारी की गई है. नियुक्ति की अधिसूचना की एक प्रति न्यायमूर्ति एन.वी. रमण को भी सौंपी गई है. वे 24 अप्रैल 2021 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे. गौरतलब हो, वह भारत के 48 वें मुख्य न्यायाधीश होंगे.
भारत के मुख्य न्यायाधीश भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ भारतीय संघीय न्यायपालिका के सर्वोच्च रैंकिंग के अधिकारी होते हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाते हैं.
अनुभव और कार्यकाल के आधार पर नियुक्ति
मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त हो जाने पर वरिष्ठतम न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है. यहां वरिष्ठता उम्र के आधार पर नहीं बल्कि अनुभव और कार्यकाल के आधार पर तय की जाती है.यह प्रक्रिया कानून मंत्री द्वारा शुरू की जाती है. वह वर्तमान मुख्य न्यायाधीश, जो सेवानिवृत्ति के करीब होते हैं, से अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए सुझावों की मांग करते हैं. फिर वह कानून मंत्रालय को अपनी सिफारिश भेजते हैं और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से संबंधित किसी भी संशय के मामले में कॉलेजियम से परामर्श कर सकते हैं. सिफारिश प्राप्त करने के बाद कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री को भेजते हैं. अंत में राष्ट्रपति नए मुख्य न्यायाधीश को शपथ दिलाते हैं.
न्यायाधीश रमण के नाम की सिफारिश वरिष्ठता मानदंड के अनुरूप वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने की थी. हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने न्यायाधीश बोबड़े से अमरावती भूमि घोटाले के संबंध में न्यायमूर्ति एन. वी. रमण की लिखित शिकायत की थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रेड्डी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक इन-हाउस प्रक्रिया का पालन करने के बाद इन्हें खारिज कर दिया.
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