नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल और मटियाला सीट से विधायक गुलाब सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पुलिस ने शिकायत पर जांच नहीं की ऐसे में होर्डिंग किसने लगाए और क्यों लगाए इसकी जांच जरूरी है। अदालत ने पुलिस को 18 मार्च तक मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले 2022 में द्वारका स्थित मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया था। जिसके बाद सत्र न्यायालय ने इसे दोबारा सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट अदालत में भेज दिया था।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नेहा मित्तल ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में लिखा है कि स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की तारीख में बताए गए स्थान पर कोई होर्डिंग या बैनर नहीं दिखाई दिया है। जबकि शिकायत की तारीख पर बैनर होर्डिंग की स्थिति पर पुलिस ने चुप्पी साध ली है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस मामले की जांच की जाए कि होर्डिंग बैनर किसने औऱ क्यों लगाए हैँ। राज्य की तरफ से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया कि समय बहुत अधिक हो चुका है और साक्ष्य के तौर पर दाखिल की गई तस्वीरों में होर्डिंग और बैनर बनाने वाली कंपनी या संस्था का नाम नहीं लिखा है। जिसे अदालत ने खारिज करते हुए कहा कि यह जरूरी है कि मामले में शामिल लोगों की पहचान सामने आए। इसके लिए जांच आवश्यक है।
अदालत ने कहा कि होर्डिंग बैनर लगाना डीपीडीपी एक्ट के तहत अपराध है या नहीं इसे स्पष्ट होना आवश्यक है। अदालत ने प्रशांत मनचंदा बनाम भारत सरकार के मामले में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को नजीर माना जिसमें कहा गया कि अदालत यह स्पष्ट करना चाहती हैं कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का मतलब केवल उस पर पेंटिंग या लिखना नहीं है, बल्कि इसमें सार्वजनिक संपत्ति पर पोस्टर चिपकाना और होर्डिंग लगाना भी शामिल है। जिसके बाद अदालत ने इस मामले को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए। अरविंद केजरीवाल के खिलाफ यह दूसरा कानूनी झटका है। इससे पहले फरवरी 2025 में हरियाणा के शाहबाद पुलिस थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। यह एफआईआर केजरीवाल के उस बयान से जुड़ी हुई थी, जिसमें उन्होंने हरियाणा पर यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाया था। एडवोकेट जगमोहन मनचंदा ने इस बयान को दलगत राजनीति से प्रेरित बताते हुए अदालत में शिकायत की थी, जिसके बाद केजरीवाल के खिलाफ बीएनएस की धारा 192, 196(1), 197(1), 248(a), और 299 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मुश्किलों में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिया FIR दर्ज करने का आदेश
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