नई दिल्ली। अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को जम्मू कश्मीर में तैनात रखने का आदेश, केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद जारी हुआ है। सूत्रों का कहना है कि अब केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर सरकार को विश्वास में लेकर वहां पर सिक्योरिटी ग्रिड को मजबूती प्रदान करेगी।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब भारत सरकार, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और पाकिस्तान में उसके आकाओं को कड़ा सबक़ सिखाने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार पहले भी कई बार यह बात कह चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, इसके चलते अब केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगभग 100 कंपनियां जम्मू कश्मीर में तैनात की जा रही हैं। इनमें से अधिकांश कंपनियां वे हैं, जिन्हें अमरनाथ यात्रा के दौरान जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया गया था। अर्धसैनिक बलों की इन कंपनियों में लगभग 85 कंपनियां, देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ की रहेंगी। बाकी कंपनियां, बीएसएफ की तैनात की जाएंगी।
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक, अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को जम्मू कश्मीर में तैनात रखने का आदेश, केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद जारी हुआ है। सूत्रों का कहना है कि अब केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर सरकार को विश्वास में लेकर वहां पर सिक्योरिटी ग्रिड को मजबूती प्रदान करेगी। बता दें कि अमरनाथ यात्रा प्रारंभ होने से पहले जम्मू कश्मीर में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगभग 500 कंपनियां तैनात की गई थी। इनमें सर्वाधिक कंपनियां सीआरपीएफ की 135, बीएसएफ की 129, सीआईएसएफ की 165, आईटीबीपी की 64 और एसएसबी की 83 कंपनियां शामिल थीं।
इन कंपनियों ने भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के पुख्ता इल्जाम किए थे। नतीजा अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना देखने को नहीं मिली। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से समाप्त कर देना चाहती है। जिस तरह से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश के विभिन्न हिस्सों से नक्सलवाद के समूल खात्मे का ऐलान किया है, इसी तरह वह जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को भी पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू कश्मीर सरकार को सूचित किया गया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को वहीं पर रखा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा केंद्रीय बलों की तैनाती की माँग की गई है। जेकेपी के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में अब आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार होगा। चाहे वह मैदानी भाग हो या पहाड़ों पर स्थित गुफाएं, आतंकवादियों को हर जगह से बाहर निकाल कर खत्म किया जाएगा। संभव है कि अगले साल तक जम्मू कश्मीर भी पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाए। वहाँ मौजूद पाकिस्तानी और स्थानीय आतंकियों को खत्म किया जाएगा। हालांकि कश्मीर घाटी में अब लोकल आतंकियों की संख्या अधिक नहीं है। घाटी में महज तीन दर्जन लोकल आतंकी बताए जाते हैं, जबकि पाकिस्तानी आतंकियों की संख्या सत्तर से अधिक बताई गई है।
केंद्र सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को जम्मू कश्मीर में नई जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है। फिलहाल केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को इस महीने के आखिर तक जम्मू कश्मीर में ही बनाए रखने के आदेश जारी किए गए हैं। भारत सरकार, पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा संदेश देना चाहती है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ के जवानों की वीरता को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी माना था। बीएसएफ जवानों ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था।
गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू में बीएसएफ जवानों की पीठ थपथपाते हुए कहा था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान जब पाकिस्तान ने हमारे नागरिक रियाहशी इलाकों पर हमला किया, तब अकेले बीएसएफ के जम्मू फ्रंटियर ने 118 से ज्यादा पाकिस्तान की पोस्ट तबाह कर दी। उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया गया। दुश्मन की संपूर्ण निगरानी प्रणाली को चुन-चुन कर ध्वस्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, उसे खड़ा करने में दुश्मन को शायद चार-पांच साल का समय लगे।
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