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Thursday, March 20, 2025
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एनडीए की सुनामी में धराशायी हुई कांग्रेस, महाराष्ट्र में मिली अब तक की सबसे बड़ी हार

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार को महाराष्ट्र में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया और झारखंड में सरकार की सहयोगी पार्टी झामुमो के मुकाबले एक दूर की जूनियर सहयोगी बनकर रह गई। इससे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हुई है, जबकि अन्य सहयोगी दल बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। झारखंड में’इंडिया’ गठबंधन की जीत ने कांग्रेस को कुछ सांत्वना दी है। लेकिन हरियाणा में हाल के उलटफेर के बाद महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में हार से कांग्रेस की राजनीतिक ताकत कमजोर हो सकती है। नांदेड़ लोकसभा सीट पर उप चुनाव में हार के बाद कांग्रेस की लोकसभा में सदस्यों की संख्या घटकर अब 98 रह गई है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एवीए) के घटक के रूप में कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन 16 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। एमवीए के खराब प्रदर्शन ने भविष्य में राज्य से राज्यसभा सीटें मिलने की उम्मीदें भी खत्म कर दीं हैं। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शानदार जीत हासिल करते हुए संसद के उच्च सदन के लिए आगामी द्विवार्षिक चुनावों में बहुमत हासिल करने के लिए तैयार है। एमवीए की एक प्रमुख पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस विपक्षी गुट का ज्यादा वजन अपनी ओर खींचने में विफल रही और एनडीए की सुनामी के सामने धराशायी हो गई।
एमवीए के सहयोगियों के बीच कांग्रेस ने सबसे अधिक विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। उसने 288 में से 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन 16 फीसदी के स्ट्राइक रेट के साथ केवल 16 सीटों पर जीत रही है या आगे चल रही है। वहीं, शरद पवार की राकांपा (एसपी) का सबसे खराब स्ट्राइक रेट (11.6 फीसदी) रहा। पार्टी 86 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिनमें से दस सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए या जीत गई है। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) का स्ट्राइक रेट 22 फीसदी रहा। इसने 95 सीटों पर चुनाव लड़ा। अभी 21 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है या जीत गई है।
दूसरी ओर भाजपा का स्ट्राइक रेट 88.6 फीसदी रहा। यानी उसने 149 सीटों पर चुनाव लड़ा और उनमें से 132 सीटों पर जीत रही है या बढ़त बनाए हुए है। भाजपा का वोट शेयर 26.46 फीसदी रहा। उसके बाद शिवसेना को 12.47 फीसदी और राकांपा को 9.35 फीसदी वोट मिले। एमवीए में कांग्रेस को सबसे अधिक 11.89 फीसदी वोट मिले। उसके बाद राकांपा (शरद पवार) को 11.25 फीसदी और शिवसेना (यूबीटी) को 10.28 फीसदी वोट मिले।
हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हार ने कांग्रेस को कमजोर कर दिया। कांग्रेस नेतृत्व राहुल गांधी की रणनीतियों पर भी सवाल उठा सकते हैं, क्योंकि उन्होंने हाल ही में जाति जनगणना और अदाणी-अंबानी के मुद्दों पर फोकस किया है, जिनका आम जनता के बीच ज्यादा असर नहीं दिखा। हालांकि, केरल के वायनाड में लोकसभा उपचुनाव में प्रियंका गांधी की जीत से कुछ राहत मिली है। साथ ही कर्नाटक में तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लेकिन ये जीत कांग्रेस समग्र हार की तुलना में कम मायने रखती है।

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