देहरादून: तमाम उठा-पटक के बाद 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर 14 फरवरी को एक चरण में मतदान सम्पन्न हो गए। हालांकि अभी नतीजे आना बाकी है…लेकिन सियासी हलकों से लेकर जनमानस की जुबान पर एक ही सवाल है, कि आखिर उत्तराखंड में किसकी सरकार बनेगी। पूर्ण जनादेश मिलेगा या फिर 2012 की कहानी दोहराई जाएगी। उत्तराखंड के चुनाव में जोर लगाने वाले 632 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद हो गई है।
गौरतलब है कि मतदान को लेकर जिस तरह भाजपा, कांग्रेस समेत सभी सियासी दलों को उम्मीद थी, उसमें थोड़ी निराशा मिली है। निर्वाचन आयोग के जारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 62.5 प्रतिशत ही मतदान हुआ। लिहाज़ा मतदान कम होने के कारण सभी सियासी दल अपने-अपने गुणा भाग में जुटे हैं।
इस चुनावी महासमर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत तमाम ऐसे दिग्गज और बड़े नेता हैं, जिनका राजनीतिक भविष्य आनेवाले नतीजों से तय होगा। हालांकि इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले कम प्रत्याशी मैदान में थे।
उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनूंगा, नहीं तो घर बैठूंगा
विधानसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक पार्टियां अब अपनी जीत का दावा कर रही हैं…बात करें कांग्रेस की तो वो जीत का दावा करते हुए सरकार बनाने की बात कर रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस 48 सीटें जीतने जा रही है। हरीश रावत ने एक बार फिर सीएम बनने का राग अलापा है। उनका कहना है कि या तो वो सीएम बनेंगे या फिर घर बैठेंगे, क्योंकि उनको अपने हिसाब से उत्तराखंड को आगे बढ़ाना है। बता दें कि चुनाव से पूर्व हरीश रावत कई बार खुद को सीएम का चेहरा घोषित कर चुके हैं।
चुनावी मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों ने अपने प्रचार-प्रसार के दौरान अपने अपने घोषणा पत्र के जरिए जनता से कई वादे किए। किसी पार्टी ने फ्री बिजली तो किसी पार्टी ने रोजगार देने के वादे किए। फिल्हाल मतदान सम्पन्न होने के बाद तमाम राजनीतिक दल यूँ तो अपनी-अपनी जीत का दावा पेश कर रहे हैं। लेकिन असल में 10 मार्च को आने वाले चुनाव नतीजे ही बताएंगें की किसके दावे में कितना दम है…?