दिग्गज एयरोस्पेस साइंटिस्ट और विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. भानु पंत ने कहा कि केंद्र सरकार की नई अंतरिक्ष नीति एयरोस्पेस के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाएगी। इस वर्ष अप्रैल में अप्रूव हुई ये पॉलिसी एयरोस्पेस से अर्थव्यस्था को मजबूत करने के साथ इसमें निजी उद्योग की भागेदारी को भी बढ़ावा देगी।
आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के आयोजन में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) से जुड़े डॉ. पंत ने कहा कि विश्व भर में आज नैनो सेटेलाइट्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है.भविष्य में ये और बढ़ेगा। नैनो सेटेलाइट्स जिन्हें क्यूब सैट्स भी कहा जाता है, साइज में बहुत छोटी और 10 किलोग्राम से भी कम वजन की होती हैं।
उन्होंने कहा कि कम लागत और बहु उपयोगिता के कारण इन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। पृथ्वी के अवलोकन और रिमोट सेंसिंग उपकरणों की बढ़ती मांग इस का मुख्य कारण है। नई अंतरिक्ष नीति में निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका सही दिशा में लिया गया कदम है। कुछ साल पहले तक निजी कंपनियों का इस क्षेत्र में एंट्री पाना मुश्किल था। 2019 में पहली बार इसरो ने अपनी सैटेलाइट लॉन्चिंग सुविधा निजी क्षेत्र के लिए खोला था. आज इस क्षेत्र में काफी प्राइवेट प्लेयर्स हैं।
डॉ. पंत ने 1960 के दशक में तिरूआंतापुरम के नजदीक तुंबा गांव से शुरू हुए इसरो के अब तक के सफर पर एक प्रेजेंटेशन देते हुए कहा कि एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। डायरेक्टर रिसर्च एण्ड एक्रीडिटेशन, डॉ. प्रवीण पाटिल, विभाध्यक्ष डॉ. सुधीर जोशी, शिक्षक डॉ. नितिन जोशी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, डॉ. दिनेश कुमार जोशी और छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग ने भी आज नैनो शीट ट्रांजिस्टर टेक्नोलॉजी विषय पर गेस्ट लेक्चर आयोजित किया. आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर डॉ. सुदेब दासगुप्ता ने माइक्रो चिप्स में इस्तमाल होने वाली इस लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस तकनीकी के इस्तमाल से इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स का साइज काफी कॉम्पैक्ट किया जा सकता है। विभागाध्यक्ष डॉ. इरफानुल हसन, शिक्षक डॉ. वरुण मिश्र, डॉ. अभय शर्मा कार्यक्रम में मौजूद रहे।