13.7 C
Dehradun
Thursday, November 13, 2025

अब डॉक्टर गढ़वाली में करेंगे मरीजों से बात, पढ़ें पूरी खबर |Postmanindia

उत्तराखंड में पहली बार श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने ऐसी पहल की है जिसे हर कोई सराह रहा है. दरअसल श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में इस सत्र से एमबीबीएस के छात्रों के लिए फाऊंडेशन कोर्स के तहत स्थानीय भाषा के रूप में गढ़वाली भाषा सिखाई जा रही है. मेडिकल काऊंसिल ऑफ इंडिया के मानकों के अनुसार इस सत्र से एमबीबीएस कोर्स के प्रथम सेमिस्टर में यह लागू की गई है. एमबीबीएस के विद्यार्थी भी काफी रूचि से गढ़वाली भाषा सीख रहे हैं. खास बात यह है कि स्थानीय भाषा के जरिए चिकित्सक उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में भी अपनी सेवाएं देने के दौरान लोगों के साथ आसानी से संवाद कर सकेंगे यही नहीं चिकित्सीय परामर्श लेने आने वाले पहाड़ी क्षेत्र या उत्तराखंड के लोगों को भी स्थानीय भाषा मे अपनी बात चिकित्सक तक पहुंचाने का मौका मिल पाएगा.

श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेंद्र दास माहाराज के प्रयासों से इसी सत्र से विश्वविद्यालय में बीए एवं एमए स्तर पर गढ़वाली भाषा के डिग्री पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) यू एस रावत का कहना है कि एसजीआरआर विश्वविद्यालय गढ़वाली भाषा के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उभर सके इसके लिए विश्वविद्यालय हर संभव प्रयास कर रहा है. एमबीबीएस कोर्स में स्थानीय भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य किए जाने से गढ़वाली भाषा में कॅरियर की संभावना और बढ़ गई है. मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) अनिल मेहता का कहना है कि मेडिकल काऊंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशों के अनुसार एमबीबीएस के छात्रों को स्थानीय भाषा सिखाई जा रही है. इसका उद्देश्य है कि भावी डॉक्टर क्षेत्रीय मरीजों से बेहतर संवाद स्थापित कर सकें व मरीजों की समस्या को भली प्रकार समझ सकें. एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज गढ़वाल मंडल में पड़ता है और यहां आने वाले ज्यादातर स्थानीय लोग गढ़वाल क्षेत्र से आते हैं इसलिए स्थानीय भाषा के रूप में गढ़वाली सिखाई जा रही है. इसका एक और फायदा यह है कि ग्रामीण परिवेश से आने वाले लोगों की परेशानियों को भावी डॉक्टर समझ सकेंगे.

डॉक्टरी कोर्स की लगभग साढ़े चार साल की अवधि के दौरान एमबीबीएस के छात्रों का मरीजों से मिलना भी होता है. यदि भाषा का ज्ञान हो तो सीनियर डाक्टरों की देखरेख में एमबीबीएस के छात्र-छात्राएं ज्यादा बेहतर ढंग से मरीजों की समस्याओं को समझ सकते हैं. इसके अलावा यदि भविष्य में कोर्स पूरा करने के बाद यदि डॉक्टर प्रदेश में ही प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों के मरीजों की परेशानी जानने के लिए किसी भाषा के जानकार की सहायता पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. कई मरीज स्थानीय भाषा में ही अपनी परेशानी बताते हैं. कोई बात मरीज अन्य को नहीं बताना चाहता. डॉक्टरों के स्थानीय भाषा ज्ञान से मरीज की निजता (प्राईवेसी) की भी रक्षा होती है. किसी अन्य पर डॉक्टरों की निर्भरता न होने पर समय भी बचता है. डॉ. मेहता ने बताया कि स्थानीय भाषा के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा भी सिखाई जा रही है. एमसीआई के निर्देशों के अनुसार एमबीबीएस छात्रों को योग का भी प्रशिक्षण दिया जाना है. गढ़वाली भाषा सिखाने वाले जनसंचार के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि छात्रों की गढ़वाली सीखने में काफी रुचि है और काफी हद तक देश के विभिन्न प्रदेशों से आए छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली भाषा बोलनी भी शुरू कर दी है. अंग्रेजी भाषा सिखाने वाली डॉ. अमनदीप कौर का कहना है कि विद्यार्थी अंग्रेजी का भी अच्छे से गढ़वाली भाषा में अनुवाद कर रहे हैं. इतने कम समय में गढ़वाली भाषा पर इतनी पकड़ बनाना काफी सराहनीय है.

ये भी पढ़ें: पंडित दीनदयाल उपाध्याय की संकल्पना को साकार करने वाला बजट: महाराज

spot_img

Related Articles

spot_img
spot_img

Latest Articles

केंद्र सरकार ने की पुष्टि…दिल्ली धमाका ‘आतंकी घटना’, कैबिनेट ने इसको लेकर पास किया...

0
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की कैबिनेट बैठक में लाल किले के पास हुए धमाके को आतंकी घटना करार...

निर्यात बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला, कैबिनेट से 25060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन...

0
नई दिल्ली: कैबिनेट ने इस वित्त वर्ष से शुरू होने वाले छह वर्षों के लिए 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी...

मुख्यमंत्री ने प्रदान की विभिन्न विकास योजनाओं के लिए 81.52 करोड की वित्तीय स्वीकृति

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा मिसिंग लिंक फंडिंग कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद चमोली के गोपीनाथ मंदिर मार्ग का स्थानीय शैली के माध्यम से...

उत्तराखंड बना खेल और पर्यावरण संरक्षण का अग्रदूतः मुख्यमंत्री धामी

0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून) में आयोजित अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता 2025 में बतौर मुख्य अतिथि...

उत्तराखण्ड के लिए व्यापक डिजास्टर मैनेजमेंट पॉलिसी बनाई जाएः सदस्य एनडीएमए

0
देहरादून। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य डॉ. डी.के. असवाल ने बुधवार को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन...