देहरादून: कोरोना काल में सबसे ज्यादा मुनाफा मिलावटखोरों ने कमाया है। दवा से लेकर सेनेटाइजर और अन्य चीजों की नकली माल बनाकर बाजार में बेचकर लाखों कमाए हैं। कोरोना काल में जहां जीवनरक्षक दवाओं का बाजार में अकाल पड़ गया, वहीं नकली दवाओं का कारोबार भी खूब फल फूल रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते जीवन रक्षक दवाओं के साथ ही सैनिटाइजर की मांग भी खूब बढ़ी। जिसके चलते नकली दवाओं का कारोबार करने वालों ने नामी कम्पनियों के नकली सैनिटाइजर मार्केट में उतार दिए हैं।
जी हां स्पेक्स ने मई-जून में उत्तराखंड के सभी जिलों में सेनेटाइजर टेस्टिंग अभियान -2021 चलाया जिसमे 1050 नमूने एकत्र किये जिसमे 578 नमूनों में एलकोहॉल की प्रतिशत मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। कोरोना महामारी से बचने का मूल मंत्र भारत सरकार एवम अन्य स्वस्थ सम्बन्धी संस्थाओ ने यही समझाया की दिन में बार-बार एलकोहॉल वाले सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करने से कोरोना जैसे वायरस से बचाव संभव है । इस सुझाव के कारण बाजार में इसकी मांग बढ़ गयी और कुछ लोगो ने इसमें मानकों की अनदेखी करके सेनेटाइजर बाजार में बेचने शुरू कर दिए ।
इस प्रक्रिया को समझने के उद्देश्य से स्पेक्स ने अपने साथियो के साथ मिलकर उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में एक अध्धयन 3 मई से 5 जुलाई 2021 तक किया गया । नमूनों में एलकोहॉल परसेंटेज के साथ साथ हाइड्रोजन पेरोक्साइड ,मेथेनॉल और रंगो की गुणवत्ता का परिक्षण अपनी प्रयोगशाला में किया । यह प्रयोगशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ,भारत सरकार ने प्रदान की थी ।
इस अध्धयन में निम्न परिणाम प्राप्त हुए
- लगभग 56 प्रतिशत सेनेटाइजर में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए । यानि 1050 नमूनों में 578 नमूने फ़ैल पाए गए ।
- 8 नमूनों में मेथेनॉल पाया गया।लगभग 112 नमूनों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड का प्रतिशत मात्रा मानकों से अधिक पायी गयी।
- लगभग 278 नमूनों में टॉक्सिक रंग पाए गए। अल्कोहल की प्रतिशत मात्रा ६०-८० प्रतिशत होना चाहिए।
- हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा 0.5 परसेंट से ज्यादा न हो मेथनॉल नहीं होना चाहिए।
जिलावार परिक्षण रिपोर्ट निम्न प्रकार है…
- अल्मोड़ा जिले में 56 प्रतिशत नमूने फेल पाए गए जिसमे जाँच करने पर 10 प्रतिशत वाले एलकोहॉल के 7 नमूने ,15 प्रतिशत-8 नमूने ,30 प्रतिशत-11,50 प्रतिशत -6,60 प्रतिशत-5,65 प्रतिशत- 9,72 प्रतिशत- 10 तथा 2 नमूनों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा अधिक थी।
- बागेश्वर में 50 नमूनों में 24 नमूने फेल पाए गए यानि 48 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था।10 प्रतिशत – 3 नमूने ,15 प्रतिशत-2,35 प्रतिशत -6,60 प्रतिशत-4,65 प्रतिशत- 6. 72 प्रतिशत- 3 नमूने पाए गए।
- चम्पावत में 50 नमूनों में 32 नमूने फेल पाए गए यानि 64 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10 – 5 ,30 प्रतिशत -8,50 प्रतिशत- 5,60 प्रतिशत 4,65 प्रतिशत- 4,72 प्रतिशत- 6 नमूने पाए गए।
- पिथौरागढ़ में 100 नमुनो में 49 नमूने फेल पाए गए यानि 49 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10प्रतिशत- 7 नमूने,15प्रतिशत 7,30 प्रतिशत- 9,50 प्रतिशत -4,60 प्रतिशत -6,65 प्रतिशत- 6,72 प्रतिशत- 10 नमूने पाए गए।
- उधम सिंह नगर में 100 नमुनो में 56 नमूने फेल पाए गए यानि 56 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10 प्रतिशत – 6 नमूने,15 प्रतिशत -5,30 प्रतिशत 5,50 प्रतिशत-8,60 प्रतिशत-10,65 प्रतिशत- 12,72 प्रतिशत- 10 नमूने पाए गए।
- हरिद्वार में 100 नमुनो में 52 नमूने फेल पाए गए यानि 52 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10 प्रतिशत – 13 ,40 प्रतिशत-7,50 प्रतिशत -8,60 प्रतिशत-6,65 प्रतिशत- 8,72 प्रतिशत- 7,80 प्रतिशत- 4 नमूने पाए गए।
- देहरादून में 100 नमुनो में 48 नमूने फेल पाए गए यानि 48 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10 प्रतिशत- 15,15 प्रतिशत -5,30 प्रतिशत -8,50 प्रतिशत -5,60 प्रतिशत-4,65 प्रतिशत- 7,72 प्रतिशत- 6 नमूने पाए गए।
- पौड़ी में 5० नमुनो में 27 नमूने फेल पाए गए यानि 54 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था।10 प्रतिशत – 7 ,30 प्रतिशत -8,50 प्रतिशत -3,60 प्रतिशत -4,72 प्रतिशत- 5 नमूने पाए गए।
- टिहरी में 5० नमुनो में 29 नमूने फेल पाए गए यानि 58 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था।10 प्रतिशत – 7, 30 प्रतिशत -8,50 प्रतिशत -3, 60 प्रतिशत -4,72 प्रतिशत- 5 नमूने पाए गए।
- रुद्रप्रयाग में 100 नमुनो में 60 नमूने फेल पाए गए यानि 60 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10 प्रतिशत – 14 ,15 प्रतिशत-7,30 प्रतिशत- 6,50 प्रतिशत -12,60 प्रतिशत-6,65 प्रतिशत- 10,72 प्रतिशत- 6 नमूने पाए गए।
- चमोली में 50 नमुनो में 32 नमूने फेल पाए गए यानि 64 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था।
- 10 प्रतिशत – 6 ,30 प्रतिशत-8,50 प्रतिशत -5,60 प्रतिशत-3 ,72 प्रतिशत- 10 नमूने पाए गए।
- उत्तरकाशी में 100 नमुनो में 52 नमूने फेल पाए गए यानि 52 प्रतिशत नमूनों में एलकोहॉल मानकों के अनुरूप नहीं था। 10 प्रतिशत – 7 ,15 प्रतिशत- 10,30 प्रतिशत-7,50 प्रतिशत -5,60 प्रतिशत-7,65 प्रतिशत- 6, 72 प्रतिशत- 10 नमूने पाए गए।
सेनेटाइजर में एलकोहॉल की प्रयाप्त मात्रा नहीं होने के कारण भी उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की संख्या शायद बढ़ी हो।
कृत्रिम रंग आपकी त्वचा पर जो विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, वे आपकी संवेदनशीलता और जलन के जोखिम को बहुत बढ़ा देते हैं और इन रसायनों को आपके शरीर में अवशोषित होने देते हैं जहां वे और भी अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। वे आपके छिद्रों को भी अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे मुंहासों का अधिक खतरा होता है।
हाइड्रोजन पेरोक्साइड भी लिपिड प्रति ऑक्सीकरण के माध्यम से एक सीधा साइटोटोक्सिक प्रभाव डाल सकता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड के अंतर्ग्रहण से मतली, उल्टी, रक्तगुल्म और मुंह से झाग के साथ जठरांत्र संबंधी मार्ग में जलन हो सकती है; फोम श्वसन पथ को बाधित कर सकता है या फुफ्फुसीय आकांक्षा में परिणाम कर सकता है।
मेथनॉल त्वचा को ख़राब भी कर सकता है, जिससे डर्मेटाइटिस हो सकता है। तीव्र मेथनॉल एक्सपोजर के लक्षणों में सिरदर्द, कमजोरी, उनींदापन, मतली, सांस लेने में कठिनाई, नशे, आंखों में जलन, धुंधली दृष्टि, चेतना की हानि और संभवतः मृत्यु शामिल हो सकती है।