देहरादून। कठुआ आतंकी हमले में उत्तराखंड के पांच लाल शहीद हुए। इन शहीदों में नायब सूबेदार आनंद सिंह, ग्राम कंडाखाल, रुद्रप्रयाग, हवलदार कमल सिंह, ग्राम पापरी, पौड़ी गढ़वाल, नायक विनोद सिंह, ग्राम चैंद जसपुर, टिहरी गढ़वाल, राइफलमैन अनुज नेगी, ग्राम डोबरिया, रिखड़ीखाल, पौडी गढ़वाल, राइफलमैन आदर्श नेगी,थाती डागर, टिहरी गढ़वाल शामिल हैं। पांचों शहीदों को आज सैन्य सम्मान के के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीदों को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा। इस दौरान भारत माता की जय, शहीद अमर रहे के नारों से देवभूमि गूंज उठी।
कठुआ में शहीद हुये विनोद सिंह भंडारी का पार्थिव शरीर आज डोईवाला, अठुरवाला पैतृक आवास पहुंचा। यहां उनके दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी। इसके बाद शहीद की अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान पूरा माहौल गमगीन नजर आया। लोगों ने नम आंखों से शहीद को विदाई दी। इसके बाद शहीद विनोद सिंह के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ऋषिकेश पूर्णानंद घाट लाया गया। जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, प्रेमचंद अग्रवाल भी मौजूद रहे। बता दें नायक विनोद सिंह टिहरी जिले के जाखणीधार तालुका के चैंद जसपुर गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार वर्तमान में देहरादून के भनियावाला में रहता है। उनके परिवार में विनोद के दो बच्चे हैं, जिनमें एक तीन महीने की बेटी और एक चार साल का बेटा है। विनोद सिंह भंडारी तीन बहनों में इकलौते भाई थे। उनके पिताजी भी फौज से रिटायर हैं।
नायब सूबेदार आनंद का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए आज सुबह उनके गांव पहुंचा। पार्थिव शरीर को देखते ही लोगों की आंखें नम हो गई। इसके बाद कुछ देर शहीद नायब सूबेदार आनंद के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया। जहां लोगों ने उन्हें याद किया। इसके बाद उनके गांव के पैतृक घाट तक शहीद आनंद की अंतिम यात्रा निकाली गई। जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया, नायब सूबेदार आनंद सिंह का अंतिम संस्कार सूर्य प्रयाग घाट पर किया गया। इस दौरान उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। सैन्य सम्मान के साथ उनके बड़े बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी। नायब सूबेदार आनंद सिंह को 22 गढ़वाल राइफल में तैनात थे। आनंद सिंह 2001 में सेना में भर्ती हुई थे। आनंद सिंह अपने पीछे पत्नी और दो बेटे मनीष, अंशुल को छोड़ गये हैं। उनका परिवार वर्तमान में देहरादून के मियांवाला शिवलोक कॉलोनी में रहता है। शहीद की मां 70 वर्षीय मोली देवी और बड़ा भाई कुंदन सिंह रावत गांव कांडा में रहते हैं। बता दें शहीद आनंद सिंह 6 महीने पहले ही छुट्टी बिताने देहरादून आये थे, इसी बीच वे गांव भी गए थे।
राइफलमैन आदर्श नेगी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए उनके गांव ले जाया गया। जहां उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इसके बाद शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए मलेथा घाट ले जाया गया। मलेथा घाट पर भी पुलिस, प्रशास न के साथ ही स्थानीय लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। मौके पर स्थानीय विधायक विनोद कंडारी, कांग्रेस नेता मंत्री प्रसाद नैथानी भी पहुंचे। उन्होंने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी। इसके बाद शहीद आदर्श नेगी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। आखिर में उनके पिता ने बेटे को मुखाग्नि की।कठुआ में उत्तराखंड का 26 वर्षीय लाल आदर्श नेगी भी शहीद हुआ। आदर्श टिहरी जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक के थाती डागर गांव के रहने वाले थे। उनके पिता दलबीर सिंह नेगी गांव में ही खेतीबाड़ी का काम करते हैं। आदर्श की बारहवीं तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज पिपलीधार से की। 2019 में वह गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुये। आदर्श तीन भाई बहन में सबसे छोटे थे। उनकी तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। भाई चेन्नई में नौकरी करते हैं। शहीद आदर्श इसी साल फरवरी में अपने ताऊ के लड़के की शादी में घर आए थे।
कठुआ आतंकी हमले में शहीद हवलदार कमल सिंह को भी नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। हवलदार कमल सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक घाट मंदाल नदी के तट पर किया गया। उनके चाचा कल्याण सिंह ने शहीद के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। 22 गढ़वाल राइफल के हवलदार कमल सिंह ने भी भारत मां के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। हवलदार कमल सिंह, लैंसडाउन तहसील के अन्तर्गत करतिया गांव के रहने वाले थे। हवलदार कमल सिंह रावत की दो बेटियां हैं।
राइफलमैन अनुज नेगी का अंतिम संस्कार भी मंदाल नदी तट पर किया गया। गांव के निकट पैतृक घाट टाडा महादेव में शहीद अनुज नेगी का सैन्य सम्माम के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके राइफलमैन अनुज नेगी के पिता भारत सिंह रावत ने बेटे को मुखाग्नि दी।राइफलमैन अनुज नेगी ग्राम डोबरिया, रिखड़ीखाल, पौडी गढ़वाल के निवासी थे। अनुज नेगी की शादी पिछले साल नवंबर में हुई थी। उनकी पत्नी दो महीने की गर्भवती है। अनुज नेगी अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र थे। अनुज के पिता भरत सिंह वन विभाग में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं।
सैन्य सम्मान के साथ हुआ पांचों शहीदों का अंतिम संस्कार
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