देहरादून: उत्तराखण्ड में शहद उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने मौनपालन को स्वरोजगार से जोड़ते हुए एक दिलचस्प योजना शुरू की है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से संचालित होने वाली यह योजना बेरोजगार युवाओं को वरदान साबित हो सकती है। योजना को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने सभी 13 जिलों में एक–एक ‘मधुग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है। मधुग्राम में उत्पादित शहद 100 प्रतिशत जैविक होगा।
युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में अभियान शुरू किया है। एक ओर सरकारी विभागों में रिक्त सभी 24 हजार पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि लगभग 1.25 लाख बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। स्वरोजगार शुरू करवाने के लिए हर जिले में स्वरोजगार शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें उनके आवेदनों का तत्काल निस्तारण किया जा रहा है। खास बात यह है कि स्वरोजगार की जो योजनाएं युवाओं के लिए शुरू की गई हैं, उनमें रिस्क फैक्टर लगभग शून्य है। ऐसी ही एक योजना है ‘मधुग्राम’ योजना।
ऐसे काम करेगी योजना
मधु ग्राम योजना के तहत मौनपालकों को 40 प्रतिशत राज्य सरकार और शेष 40 प्रतिशत बाग़वानी मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाएगी। कुल मिलाकर आवेदक को महज 20 प्रतिशत अंशदान देना होगा और 80 प्रतिशत सब्सिडी उसे सरकार द्वारा दी जाएगी। उद्यान विभाग प्रत्येक मधु ग्राम को 500 बॉक्स और मधुमक्खी देगा। जिनमें लगभग 20 किलों प्रति बॉक्स उत्पादन की दर से प्रत्येक मधुग्राम में 10 हज़ार किलोग्राम का लक्ष्य रखा गया है। एक मौन बॉक्स में औसतन 20 किलो शहद उत्पादन हो सकता है।
इन न्याय पंचायतों का हुआ चयन
सचिव उद्यान आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि मधु ग्राम योजना के लिए नैनीताल में ज्योली, ज्योलीकोट, उधम सिंह नगर में बिग्राबाग, अल्मोडा में असगोली, बागेश्वर में फरसाली पल्ली, पिथौरागढ में देहात न्याय पंचायत का चयन किया गया है। इसके अलावा चम्पावत में सिप्टी, उत्तरकाशी में नाकुरी, टिहरी में बनाली, पौड़ी में चमराडा, चमोली में कल्याणी, रुद्रप्रयाग में उंचाढ़ूँगी, हरिद्वार में मकदूमपुर और देहरादून में थानों न्याय पंचायत का मधुग्राम योजना के लिए चयन किया गया है।