नमस्कार दोस्तों…
आज हम आपको फूलों की घाटी कि बारे में बताएँगे…समुद्रतल से 13 हज़ार फीट की ऊँचाई पर स्थित है विश्व धरोहर फूलों की घाटी … ये घाटी उत्तराखंड के उन विश्व स्तरीय पर्यटक स्थलों में से एक है जिसमें रंग-बिरंगे फूलों के अलावा दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं।कहा जाता है कि यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं।
इस घाटी का पता सन 1931 में सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था. ये दोनों पर्वतारोही कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे इस दौरान वे रास्ता भटक गए लेकिन यहाँ की खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये… इसके बाद स्मिथ ने 1938 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब लिखी जिसमें इस पूरी घाटी के बारे में बताया गया था…
आपको बता दें कि फूलों की घाटी को अंग्रेज़ी में Valley of Flowers कहते हैं.. यह नेशन रिज़र्व फ़ॉरेस्ट की श्रेणी में आता है…. फूलों की घाटी विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में विश्व धरोहर यानी WORLD HERITAGE घोषित किया गया जा चुका है…
पौराणिक कथा के अनुसार रामायण काल में जब रावण के साथ युद्ध में मेघनाथ ने बाण से लक्ष्मण को मूर्छित किया था …तब हनुमान जी संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में आये थे.
ऐसे पहुचें Valley of flowers
फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए आपको ऋषिकेश से जोशीमठ तक करीब 270KM की दूरी तय करनी होगी. जोशीमठ में अप रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं, जोशीमठ से 19KM बदरीनाथ हाईवे पर आपको आगे गोविन्द घाट पहुचना होगा. सिक्ख धर्म का पवित्र धाम हेमकुंड साहिब जाने का रास्ता भी यहीं से जाता है. गोविन्द घाट से दो किलोमीटर गांव तक ही सड़क जाती है. इसके बाद यहाँ से 13 किलोमीटर का पैदल सफ़र शुरू होता है. इस रस्ते पर भयुन्डार घाटी होते हुए अप घांघरिया पहुचेंगे. यहाँ आपको खाने और रहने की सभी सुविधा मिला जाएगी. यहाँ से एक रास्ता हेमकुंड साहिब के लिए जाता है जबकि दूसरा रास्ता फूलों की घाटी पहुचता है,यहाँ से आपको 150 रूपये की पर्ची लेकर 1 बजे से पहले पहुचना होगा.