नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोकसभा में संविधान पर चर्चा में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए 11 संकल्प सामने रखे। इन संकल्पों में नागरिक कर्तव्य, परिवारवाद से मुक्ति, संविधान, महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर फोकस किया गया है।
लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बड़े गर्व के साथ लोकतंत्र के उत्सव को मनाने का अवसर है। संविधान के 75 वर्ष की यादगार यात्रा है। इसके मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दिव्य दृष्टि है। हम इसे आगे लेकर चल रहे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने 11 संकल्प भी सदन में रखे। इन संकल्पों में नागरिक कर्तव्यों से लेकर परिवारवाद से मुक्ति और महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर फोकस किया गया है।
पीएम मोदी ने लोकसभा में क्या 11 संकल्प रखे-
चाहे नागरिक हो या सरकार हो सभी अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।
हर क्षेत्र हर समाज को विकास का लाभ मिले, सबका साथ, सबका विकास हो।
भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो, भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता ना हो।
देश के कानून, नियम, परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों में गर्व का भाव हो।
गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो।
देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिली।
संविधान का सम्मान हो, राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाय।
संविधान की भावना के प्रति समर्पण रखते हुए, जिनको आरक्षण मिल रहा है वो न छीना जाए, धर्म के आधार पर आरक्षण की कोशिश पर रोक लगे।
महिलाओं के नेतृत्व में विकास के मामले में भारत दुनिया में मिसाल बने।
राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास, ये विकास का मंत्र हो।
एक भारत श्रेष्ठ भारत का देश सर्वोपरी हो।
विकसित भारत के रूप में मनाएंगे 2047
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन संकल्पों के साथ अगर हम सब मिलकर आगे बढ़ते हैं तो संविधान में ‘हम भारत के लोग’ की जो भावना है, उससे विकसित भारत का सपना पूरा होगा। मेरी देशवासियों के प्रति अपार श्रद्धा रही है। देश की युवा शक्ति के प्रति अपार श्रद्धा रही है। इसलिए देश 2047 में जब आजादी के सौ साल मनाएगा तो विकसित भारत के रूप में मनाएगा। हम इस संकल्प के साथ आगे बढ़ें।