बीते 7 फरवरी को चमोली के धौली गंगा, तपोवन, ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूटने की वजह से आयी बाढ़ के कारण भीषण तबाही हुई थी. इस आपदा में 205 से अधिक लोगों के अकाल मृत्यु का आंकलन है. इस प्राकृतिक आपदा से पैंग, मुरूंडा, जुग्जु, जुवाग्वाड़ के अलावा चिपको की जननी गौरा देवी के गाँव वल्ला रैणी और पल्ला रैणी में 5 लोगों की मृत्यु हुई, स्थानीय स्तर पर अभी तक 28 लोगों के शव बरामद हुए हैं. इस प्राकृतिक आपदा के तुरंत बाद प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव के कार्य प्रारंभ हुए उसी दौरान अलकनन्दा घाटी शिल्पी फैडरेशन (आगाज़ फैडरेशन) पीपलकोटी द्वारा रिलायंस फाउण्डेशन को मदद के लिए आग्रह किया गया. और स्थानीय समाजसेवी संस्था जनमैत्री जो पूर्व से ही लंगर/कम्यूनिटी किचन चला रही थी के साथ मिलकर 15 फरवरी से 26 फरवरी तक कुल 12 दिन तक रैस्क्यू और बचाव के कार्यों में लगे एन.डी.आर.एफ., एस.डी.आर.एफ., भारत तिब्बत सीमा पुलिस और उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों के साथ-साथ सड़क और पुल निर्माण में लगे सीमा सड़क संगठन के कर्मचारियों और मजदूरों को नियमित रूप से दोपहर का भोजन कराते रहे.
इस दौरान आई.ए. जी. उत्तराखण्ड के समन्वयन में लगभग 12 दिन में लगभग 3000 लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया. आगाज़ फैडरेशन के समन्वयक एवं टीम लीडर जयदीप किशोर ने बताया कि उनकी टीम द्वारा आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुए- वल्ला रैणी, पल्ला रैणी, पैंग, मुरूंडा, जुग्जु और जुवाग्वाड में 150 परिवारों को ड्राइ राशन किट का आज 26 फरवरी 2021 तक स्थानीय टीम लीडर पूरण सिंह राणा, आगाज़ के वाॅलण्टियर अनुज नम्बूद्री, भुवना देवी, अभिषेक कुमार, भरत लाल, नरेन्द्र मुले , सचिन टम्टा और अजय राज के साथ मिलकर वितरण किया गया. इसके साथ ही जनमैत्री संस्था के प्रदीप चैहान, सुनील तिवारी, जितेन्द्र ने भी सामुदायिक किचन के संचालन में मदद की. इस कार्यक्रम के लिए कासा उत्तराखण्ड ने जनमैत्री को संसाधन उपलब्ध कराये और आई.ए.जी. उत्तराखण्ड ने भी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से समन्वयन में सहयोग किया. दूसरी ओर संपूर्ण अभियान के समन्वयन और संचालन का कार्य आगाज़ फैडरेशन के अध्यक्ष जेपी मैठाणी की देखरेख में संपादित किया गया.
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