नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ‘शाइलॉकियन दृष्टिकोण’ वाले कर्जदाताओं के बढ़ते खतरे से निपटने का फैसला किया है। बिना लाइसेंस के धन उधार देने वाले कर्जदाताओं से उधार लेने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। इसमें उधार लेने वालों की वित्तीय बर्बादी और यहां तक कि आत्महत्या भी शामिल है। यहां शाइलॉकियन दृष्टिकोण वाले कर्जदाताओं का आशय अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक शेक्सपियर के नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस के चरित्र शाइलॉक से है, जो नायक को सुरक्षा के रूप में एक पाउंड मांस के साथ कर्ज देता है।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और निर्माता राज कुमार संतोषी की ओर दायर मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। वरिष्ठ वकील मनन कुमार मिश्रा और वकील दुर्गा दत्त के नेतृत्व में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रशांत मलिक नामक व्यक्ति ने संतोषी की एक फिल्म में दो करोड़ रुपए निवेश करने का वादा किया था। हालांकि उन्होंने 35 लाख रुपए का भुगतान किया और बाद में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (चेक बाउंस) के तहत मामला बनाने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सिक्योरिटी चेक का इस्तेमाल किया। ट्रायल कोर्ट ने संतोषी के खिलाफ समन जारी किया। हाइकोर्ट ने उनके खिलाफ जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
पीठ ने कहा, हम मुख्य रूप से ऐसे मामलों से परेशान और दुखी हैं, जहां आम आदमी ऐसे ऋण लेता है और अंत में सड़कों पर आ जाता है या आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है। हम ऐसे मामलों को नियंत्रित करेंगे और उन असहाय लोगों को बचाएंगे, जो ऋण लेते हैं और फिर कर्ज में डूब जाते हैं। पीठ ने कहा कि समाज में बढ़ते खतरे को देखते हुए उसने इस मामले में यह असाधारण कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने ‘शाइलॉकियन दृष्टिकोण’ वाले कर्जदाताओं के बढ़ते खतरे से निपटने का फैसला किया है। बिना लाइसेंस के धन उधार देने वाले कर्जदाताओं से उधार लेने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। इसमें उधार लेने वालों की वित्तीय बर्बादी और यहां तक कि आत्महत्या भी शामिल है। यहां शाइलॉकियन दृष्टिकोण वाले कर्जदाताओं का आशय अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक शेक्सपियर के नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस के चरित्र शाइलॉक से है, जो नायक को सुरक्षा के रूप में एक पाउंड मांस के साथ कर्ज देता है।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और निर्माता राज कुमार संतोषी की ओर दायर मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। वरिष्ठ वकील मनन कुमार मिश्रा और वकील दुर्गा दत्त के नेतृत्व में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रशांत मलिक नामक व्यक्ति ने संतोषी की एक फिल्म में दो करोड़ रुपए निवेश करने का वादा किया था। हालांकि उन्होंने 35 लाख रुपए का भुगतान किया और बाद में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (चेक बाउंस) के तहत मामला बनाने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सिक्योरिटी चेक का इस्तेमाल किया। ट्रायल कोर्ट ने संतोषी के खिलाफ समन जारी किया। हाइकोर्ट ने उनके खिलाफ जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
पीठ ने कहा, हम मुख्य रूप से ऐसे मामलों से परेशान और दुखी हैं, जहां आम आदमी ऐसे ऋण लेता है और अंत में सड़कों पर आ जाता है या आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है। हम ऐसे मामलों को नियंत्रित करेंगे और उन असहाय लोगों को बचाएंगे, जो ऋण लेते हैं और फिर कर्ज में डूब जाते हैं। पीठ ने कहा कि समाज में बढ़ते खतरे को देखते हुए उसने इस मामले में यह असाधारण कदम उठाया है।