12.1 C
Dehradun
Tuesday, December 2, 2025


Tokyo Olympics 2020: नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, जीता गोल्ड, भारत को पहली बार एथलेटिक्स में मेडल

टोक्यो ओलंपिक 2020 में आज भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने फाइनल मुकाबला खेला। इससे पहले नीरज ने ग्रुप-ए के क्वालिफिकेशन राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले ही प्रयास में फाइनल में प्रवेश कर लिया था। फाइनल में नीरज चोपड़ा जोरदार शुरुआत की। नीरज ने फाइनल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए भारत को टोक्यो ओलंपिक में पहला गोल्ड मेडल दिलाया। नीरज ने अपने पहले ही प्रयास में 87.03 मीटर जैवलिन फेंका। नीरज के बाद जर्मनी के जूलियन वेबर ने सबसे दूर भाला फेंका है। उन्होंने 85.30 मीटर दूर भाला फेंका. वहीं, जर्मनी के ही जोहानेस वेटर का थ्रो 82.52 मीटर रहा। वहीं नीरज चोपड़ा ने दूसरे प्रयास में भी शानदार थ्रो किया। दूसरे प्रयास में उन्होंने 87.58 मीटर दूर भाला फेंका।

पुरुषों की जैवलिन थ्रो के फाइनल में दो राउंड बीतने के बाद पहले स्थान पर चल रहे भारतीय थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने तीसरे प्रयास में बेहद खराब थ्रो की। तीसरे प्रयास में उन्होंने 76.79 मीटर तक ही थ्रो फेंका। हालांकि इसके बाद भी अब भी वह अपनी 87.58 मीटर की बेस्ट थ्रो के बूते पर पहला स्थान पर बरकरार रहे। वहीं पाकिस्तान के अरशद नदीम ने पहले प्रयास में 82.40 मीटर दूर भाला फेंका। दूसरा प्रयास उनका फाउल रहा। वहीं नीरज अपने चौथे प्रयास में फाउल कर बैठे। हालांकि इसके बाद भी वह पहले स्थान पर कायम रहे। नीरज का पांचवां प्रयास भी आयोग्य करार दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद वह स्वर्ण पदक की दौड़ में सबसे आगे बने रहे।

फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए 83.50 मीटर का बेंचमार्क रखा गया था, लेकिन जूनियर विश्व रिकॉर्डधारी नीरज चोपड़ा ने पहले ही प्रयास में शानदार थ्रो किया और फाइनल में प्रवेश कर लिया था। उन्होंने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो कर फाइनल का टिकट हासिल कर लिया था। नीरज के अलावा फिनलैंड के Lassi Etelatalo ने भी पहले ही प्रयास में फाइनल के लिए सीधे क्वालिफाई किया था। उन्होंने अपने पहले प्रयास में 84.50 मीटर का थ्रो किया और क्वालिफिकेशन मार्क को पार किया था।

पानीपत स्टेडियम में नीरज, वरिष्ठ जेवलिन (भाला फेंक) खिलाड़ी जयवीर को प्रैक्टिस करते देख प्रभावित हुए और इसके बाद उन्होंने जैवलिन थ्रोअर बनने की ठान ली। शुरुआत में वह जयवीर द्वारा फेंके गए जैवलिन को उठाकर लाने का काम करते थे, इस बीच जब भी उन्हें टाइम मिलता वह भाला फेंकने की प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने जैवलिन फेंकने की जयवीर की तकनीक को समझा और उनसे प्रेरित होकर आगे बढ़ा। इसके बाद से ही इन्होंने जैवलिन खिलाड़ी बनने के लिए मेहनत शुरू की थी।

spot_img

Related Articles

Latest Articles

सीएम ने यूनिटी मार्च के अंतर्गत आयोजित सरदार गाथा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया

0
देहरादून। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को साधली, बड़ोदरा, गुजरात में सरदार/150 यूनिटी मार्च के अंतर्गत...

मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने चम्पावत में विकास परियोजनाओं की समीक्षा की

0
देहरादून। मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन आनन्द बर्द्धन ने आज जिला सभागार चम्पावत में जिले की सभी प्रमुख विकास योजनाओं, जनपदीय नवाचारों, मुख्यमंत्री घोषणाओं, केंद्र-राज्य...

भारतीय ट्रक और बसों में जल्द अनिवार्य होगा ADAS, सड़कों पर सुरक्षा बढ़ाने की...

0
नई दिल्ली: भारत में भारी वाहन, जिनमें ट्रक और बसें शामिल हैं, अब प्रीमियम कारों जैसी एडवांस्ड सुरक्षा तकनीक से लैस होने जा रहे...

सरकार का बड़ा फैसला; सभी नए मोबाइल फोन में 90 दिनों के भीतर प्री-इंस्टॉल...

0
नई दिल्ली: दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल फोन कंपनियों को बड़ा निर्देश जारी किया है। अब देश में बनने या आयात होकर आने वाले...

बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस की गर्जना; सटीक निशाने के साथ गाइडिंग और कंट्रोल...

0
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने एक बार फिर अपनी मारक क्षमता और तकनीकी श्रेष्ठता का शानदार प्रदर्शन किया है। दक्षिणी कमान की तरफ से...