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Wednesday, November 26, 2025


अयोध्या: धर्म ध्वजा लहराते ही खत्म हुआ बरसों का विरह

अयोध्या: 500 वर्षों से एक तरह का विरह झेल रही अयोध्यानगरी का राम मंदिर आज तब संपूर्ण हो गया, जब भव्य और दिव्य मंदिर के शिखर पर आस्था की ध्वजा लहराई। वही ध्वज, जो केवल वस्त्र नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का साक्षात प्रतीक है। यह ध्वज आस्था के धागों से तैयार हुआ। इस क्षण का साक्षी बनने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। साथ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।
अयोध्या में राम मंदिर को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया था। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। कोरोना काल में हजारों श्रमिकों की अथक मेहनत के बाद राम मंदिर का पारंपरिक नागर शैली में निर्माण पूरा हुआ। इसकी लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फिट है। यह कुल 392 खंभों और 44 दरवाजों से युक्त है।
दरअसल, 22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम बालक राम के रूप में स्थापित किए गए थे। 5 जून 2025 को दूसरी प्राण प्रतिष्ठा में भगवान राम राजा के रूप में स्थापित किए गए। इसके बाद अंतिम कार्य ध्वज ध्वजा स्थापित करने का था। सनातन परंपरा में शिखर पर लहराते ध्वज को मंदिर का रक्षक, ऊर्जा का वाहक और पूर्णता तथा ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। ध्वजा से ही मंदिर को पूर्णता प्राप्त होती है। ध्वजा आरोहण के लिए 25 नवंबर 2025 को सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच का मुहूर्त निकाला गया। मंगल-स्वस्ति गान के बीच ध्वजा आरोहण हुआ। 32 मिनट का यह शुभ योग भगवान श्रीराम के जन्म नक्षत्र अभिजीत मुहूर्त से मेल खाता है। दिन भी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी का चुना गया, जिसे विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का दिव्य विवाह हुआ था।
यह 22 गुणा 11 फीट की है। रंग चमकदार केसरिया है। इसे पैराशूट ग्रेड के तीन परत वाले कपड़े से बनाया गया है और आस्था के रेशमी धागों में पिरोया गया है। यह अहमदाबाद में बनकर तैयार हुआ। इसे 161 फीट ऊंचे शिखर पर 42 फीट ऊंचे एक दंड के माध्यम से स्थापित किया गया है। दंड पर 21 किलो सोना मढ़ा गया है। ध्वजा चार किमी दूर से भी दिखाई देगी। धर्म ध्वजा भयानक तूफान में भी सुरक्षित रहेगी। ध्वजा दंड पर बॉल बियरिंग लगे हैं। इससे ध्वजा हवा बदलने पर बिना उलझे पलट जाएगी। ध्वजा पर प्रभु श्रीराम के सूर्यवंश का चिह्न और ओंकार बना हुआ है। साथ ही कोविदार वृक्ष का भी चिह्न है। इन चिह्नों के लिए चार महीने तक अध्ययन किया गया था। इन चिह्नों को ध्वज पर हाथ से बुना गया है।
अयोध्या का राज ध्वज और उस पर अंकित कोविदार वृक्ष सनातन संस्कृति की अमूल्य निधि रही है। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में है। इसके अनुसार चित्रकूट में वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को अश्व और रथों से आती सेना के बारे में पता लगाने को कहा था। इसे देखकर लक्ष्मण ने कहा था कि निश्चय ही भरत स्वयं सेना लेकर आया है। कोविदार युक्त विशाल ध्वज उसी के रथ पर फहरा रहा है। इसी प्रसंग से जाहिर है कि कोविदार वृक्ष युक्त ध्वज अयोध्या की पहचान और प्राचीन धरोहर रही है। हरिवंश पुराण में उल्लेख है कि महर्षि कश्यप ने पारिजात के पौधे में मंदार के गुण मिलाकर इसे तैयार किया था।
इस बारे में अयोध्या के महंत विवेक आचारी दिलचस्प वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि इसकी धर्म ध्वजा की लंबाई-चौड़ाई यूं ही नहीं तय हुई है। अंक ज्योतिष की गणना में इसके मायने समझ में आते हैं। ध्वज का आकार 22 गुणा 11 फीट है। इसे गुणा करने पर 242 का अंक आता है, जिसका गुणांक आठ है। आठ को न्याय के देवता शनि का अंक माना जाता है। यह कहा जा सकता है कि राम मंदिर के शिखर यानी अयोध्या में अब न्यायाधीश के रूप में भगवान विराजमान हो चुके हैं। जो मर्यादा में रहेगा, सुखी रहेगा। जो मर्यादा विहीन आचरण करेगा, उसका रावण जैसा हश्र होगा।
अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के निदेशक डॉ. संजीव सिंह बताते हैं कि लंबे मंथन के बाद ही यह निष्कर्ष निकला कि कौन-सा निशान रामलला के धाम की पवित्रता और युगों तक कायम रहने वाली सनातन परंपरा का प्रतिनिधित्व करेगा। प्रतीकों के चयन के लिए रामचरित मानस व रामायण का अध्ययन किया गया। विश्वकर्मा वास्तु शास्त्र के अध्याय 42 में झंडों के लक्षण का विस्तृत वर्णन है। महाभारत, ऋग्वेद, विष्णुधर्मोत्तर पुराण में ध्वज का वर्णन है। इसमें भगवान विष्णु के ध्वज का रंग पीला और सुनहला बताया गया है। जो इनके अवतार होंगे उनके ध्वज का रंग केसरिया और पीतांबरी होगा। श्रीराम, विष्णु के अवतार हैं इसलिए ध्वज का रंग केसरिया है। सूर्यवंशी होने के कारण सूर्य का निशान अंकित है। सूर्य जीवंतता और ऊर्जा का भी प्रतीक होता है। ॐ ब्रह्मांड का द्योतक है, इसलिए ॐ का निशान अंकित है। रघुकुल का राजकीय निशान होने के कारण कोविदार वृक्ष को अंकित किया गया है।
राम मंदिर में ध्वजारोहण के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष-बिंदु की साक्षी बन रही है। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर ध्वजारोहण उत्सव का यह क्षण अद्वितीय और अलौकिक है। उन्होंने कहा, आज पूरा देश और पूरा विश्व भगवान श्री राम की भावना से ओतप्रोत है। धर्म ध्वजा केवल एक ध्वज नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण की ध्वजा है। अयोध्या वह भूमि है जहां आदर्श आचरण में परिवर्तित होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, राम आदर्शों के प्रतीक हैं, राम अनुशासन के प्रतीक हैं, और राम जीवन के सर्वोच्च चरित्र के प्रतीक हैं। भारत को वर्ष 2047 तक विकसित बनाने के लक्ष्य की याद दिलाते हुए पीएम मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया कि अगर समाज को सशक्त बनाना है तो हमें अपने भीतर के ‘राम’ को जगाना होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले 10 वर्षों में, भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो, ये हमारा लक्ष्य होना चाहिए। रामायण में लंकापति रावण से संग्राम के समय भगवान श्रीराम के कथन का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘विकसित भारत की यात्रा को गति देने के लिए हमें एक ऐसे रथ की आवश्यकता है जिसके पहिये वीरता और धैर्य हों, जिसका ध्वज सत्य और परम आचरण हो, जिसके घोड़े शक्ति, विवेक, संयम और परोपकार हों, और जिसकी लगाम क्षमा, करुणा और समता हों।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस मौके पर कहा, आज हम सबके लिए सार्थकता का दिन है। इसके लिए जितने लोगों ने प्राण न्योछावर किए, उनकी आत्मा तृप्त हुई होगी। अशोक (सिंघल) जी को वहां पर शांति मिली होगी। आज मंदिर का ध्वजारोहण हो गया। रामराज्य का ध्वज, जो कभी अयोध्या में फहराता था, आज वह फहरा गया है। इस भगवा ध्वज पर रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष है। यह वृक्ष रघुकुल की सत्ता का प्रतीक है। यह वह वृक्ष है जिसके लिए कहा जाता है, कि वृक्ष सबके लिए छाया देते हैं, स्वयं धूप में खड़े रहकर। फल भी दूसरों के लिए देते हैं। उन्होंने भावी नीतियों की तरफ संकेत करते हुए कहा, ‘हमें ऐसा भारत बनाना है जो इस ‘धर्म’, इस ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाए। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। राम मंदिर को देखकर और इससे प्रेरणा लेते हुए, हमें चुनौतियों का सामना करते हुए भी इसके लिए एकजुट होकर काम करते रहना है।’

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